कश्मीर में पुराने अफगानी दोस्‍तों की मदद से आतंक फैलाने की फिराक में हाफिज सईद

जैश ए मोहम्‍मद फिर से जम्‍‍‍‍मू-कश्‍मीर में आतंक और जिहाद फैलाने की फिराक में है. इसके लिए वह अफगानिस्‍तान में मौजूद अपने पुराने दोस्‍तों तालिबान और अलकायदा से मदद ले रहा है.

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Nihar Saxena
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Hafiz Saeed

अफगानिस्तान में तालिबान और अल कायदा की मदद ले रहा है हाफिज सईद.( Photo Credit : न्यूज नेशन.)

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पाकिस्‍तान पोषित आतंकी संगठन जैश ए मोहम्‍मद फिर से जम्‍‍‍‍मू-कश्‍मीर में आतंक और जिहाद फैलाने की फिराक में है. इसके लिए वह अफगानिस्‍तान में मौजूद अपने पुराने दोस्‍तों तालिबान और अलकायदा से मदद ले रहा है. एक ओर जहां अफगानिस्तान से अमेरिका अपनी बची हुई सेनाओं को वहां से हटाने की तैयारी के अंतिम पड़ाव पर है. वहीं दूसरी ओर अफगानिस्‍तान में ही जैश ए मोहम्‍मद के सैकड़ों आतंकी ट्रेनिंग सेंटर्स में मौजूद हैं. यह जानकारी खुफिया एजेंसियों ने दी है. अफगानिस्‍तान में जैश को यह सारी मदद तालिबान का नया सरगना मोहम्‍मद याकूब की ओर से दी जा रही है.

राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने कहा कि वे चाहते हैं कि क्रिसमस के दिन से पहले अफगानिस्तान से 4,500 अमेरिकी सैनिकों को वापस बुला लिया जाए. ऐसे में ट्रंप के ऑफिस छोड़ने से पहले ही 2000 सैनिकों को वापस बुलाने की प्रक्रिया भी तेज कर दी है. दोहा में चल रही बातचीत में तालिबान ने अमेरिका और उसके सहयोगियों के खिलाफ अल-कायदा जैसे अंतरराष्ट्रीय आतंकी संगठनों द्वारा हमलों को रोकने के लिए सहमति व्यक्त की है, लेकिन लश्कर-ए-तैयबा या जैश जैसे पाकिस्तान समर्थित आतंकी संगठनों के लिए कोई विशेष बातचीत नहीं है.

पाकिस्तान के पंजाब प्रांत के बहावलपुर के दो लोगों ने भारतीय अधिकारियों के दावों की पुष्टि की. कई स्थानीय जैश आतंकियों ने बताया कि वे पिछले साल बालाकोट में भारत के हवाई हमले के बाद घर भेज दिए गए थे. वहीं हाल के हफ्तों मे उसके आसपास के कस्बों और गांवों को छोड़ दिया है. बालाकोट हवाई हमले के बाद पाकिस्तान ने घोषणा की था कि वह बहावलपुर में जैश के मुख्यालय, मरकज़ उस्मान-ओ-अली को सरकारी प्रशासन के अधीन कर रहा है. हालांकि, बहावलपुर के लोगों ने कहा कि मदरसा सामान्य रूप से काम कर रहा था और जैश नेताओं ने पंजाब, खैबर-पख्तूनख्वा तथा सिंध में मस्जिदों में धन उगाही करने और आतंकियों की भर्ती संबंधी बैठक फिर से शुरू कर दी थीं.

अफगानी अधिकारियों ने लंबे समय से जैश और लश्कर के आतंकियों के साथ तालिबानी ताकतों का सामना करने की सूचना दी है. इनमें सैकड़ों लोग भाग लेते हैं. पिछले महीने हेलमंड प्रांत के गवर्नर मुहम्मद यासीन खान ने कहा था कि लश्कर और जैश के सैकड़ों पाकिस्तानी लड़ाकों ने लश्करगाह शहर को जब्त करने की लड़ाई में भाग लिया था. अफगानिस्तान में आतंकवाद से संबंधित प्रतिबंधों की निगरानी करने वाले संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद समूह को बताया गया था. इस गर्मी में 1,000 से अधिक जैश और लश्कर के लड़ाके तालिबान के साथ लड़ रहे थे. बदले में तालिबान और उसके अल-कायदा के सहयोगियों ने जैश को तकनीकी मदद मुहैया कराई. इनका इस्‍तेमाल नियंत्रण रेखा को भेदने के लिए, जीपीएस-निर्देशित ड्रोन से लेकर, भारतीय जिहादियों के प्रशिक्षण के लिए आत्मघाती अभियानों को अंजाम देने के लिए तकनीक प्रदान की है.

Source : News Nation Bureau

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