जामिया मिल्लिया इस्लामिया में पुलिस की कथित कार्रवाई के दो महीने बाद रविवार को कई नए वीडियो सामने आए. एक वीडियो में पुलिस लाइब्रेरी में घुसकर छात्रों को पीटते हुए दिखाई देते हैं. लेकिन एक दूसरा वीडियो जो सामने आया है उसमें प्रदर्शनकारी छात्र नकाब पहने हुए लाइब्रेरी में घुस रहे हैं. उनके हाथों में पत्थर नजर आ रहा है. हालांकि इन दोनों वीडियो की जांच चल रही है. लेकिन वीडियो सामने आने के बाद जामिया यूनिवर्सिटी फिर से सुर्खियों में आ गई है और राजनीति भी तेज हो गई है.
एआईएमआईएम (AIMIM) प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने कहा, 'दिल्ली पुलिस ने झूठ कहा कि वो जामिया के अंदर नहीं घुसी. बल्कि दिल्ली पुलिस जामिया के अंदर घुसी और एक बच्ची की आंख को ज़ख्मी किया. वीडियो से पता चलता है कि बच्चे बाहर निकलना चाहते थे लेकिन पुलिस पीछे से बच्चों को मार रही थी.'
इसके साथ ही असदुद्दीन ओवैसी ने कहा कि जामिया के वाइस चांसलर ने एमएचआरडी को पुलिस के खिलाफ शिकायत की है. पुलिस के खिलाफ एफआईआर दर्ज होनी चाहिए.
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वहीं, पुलिस ने बताया कि वह 15 दिसंबर की इस घटना की अपनी जांच के तहत इस वीडियो को और कुछ घंटे बाद सामने आये अन्य दो वीडियो की जांच करेगी. जामिया समन्वय समिति ने सीसीटीवी फुटेज प्रतीत हो रहे 48 सेकेंड का यह वीडिया जारी किया है जिसमें कथित तौर पर अर्द्धसैनिक बल और पुलिस के करीब सात-आठ कर्मी ओल्ड रीडिंग हॉल में प्रवेश करते और छात्रों को लाठियों से पीटते दिख रहे हैं. ये कर्मी रूमाल से अपने चेहरे ढंके हुए भी नजर आ रहे हैं.
वहीं, सूत्रों ने बताया कि जेसीसी ने बस 48 सेंकेंड का वीडिया जारी किया किया है जिसमें इस प्रकरण का बस एक ही पक्ष दिखाया गया था. उसने (जेसीसी) दूसरे वीडियो नहीं दिखाये जिनमें दंगाई परिसर में दाखिल होते हुए नजर आ रहे हैं और कुछ अन्य उन्हें पुलिस से बचा रहे हैं। पांच मिनट 25 सेंकेंड के दूसरे क्लिप में लोग हड़बड़ी में विश्वविद्यालय के पुस्तकाल में प्रवेश करते हुए कथित रूप से नजर आ रहे हैं. कुछ ने अपने चेहरे ढंके हुए हैं. जब ये सभी पुस्तकालय में दाखिल हो जाते हैं तो तब वहां मौजूद लोग मेजों और कुर्सियों से मुख्य द्वार जाम करते हुए देखे जा सकते हैं.