जम्मू-कश्मीर में पंचायत स्तर तक सरकार की पहुंच के लिए 'बैक टू विलेज' परियोजना शुरू

ग्रामीण विकास विभाग की प्रशासनिक सचिव शीतल नंदा ने कहा कि इस दौरान राज्य की लगभग 4,500 पंचायतों में से प्रत्येक पंचायत में एक राजपत्रित अधिकारी जाएगा.

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Nihar Saxena
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जम्मू-कश्मीर में पंचायत स्तर तक सरकार की पहुंच के लिए 'बैक टू विलेज' परियोजना शुरू

सांकेतिक चित्र

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जम्मू एवं कश्मीर के विभिन्न जिलों में गुरुवार को महत्वाकांक्षी 'बैक टू विलेज' परियोजना शुरू हो गई. राज्य में यह परियोजना राज्यभर में 27 जून तक लागू रहेगी और इस दौरान राज्य सरकार का पूरा प्रशासनिक तंत्र गांवों तक पहुंच बनाने के लिए राज्य, प्रांतीय और जिला स्तरीय कार्यालयों से बाहर रहेगा. ग्रामीण विकास विभाग की प्रशासनिक सचिव शीतल नंदा ने कहा कि इस दौरान राज्य की लगभग 4,500 पंचायतों में से प्रत्येक पंचायत में एक राजपत्रित अधिकारी जाएगा.

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दो दिन एक रात बिताएंगे अधिकारी
नंदा ने कहा, 'अधिकारी पंचायत में दो दिन और एक रात बिताएगा और वहां निर्वाचित पंचों और सरपंचों के साथ बैठक करेगा. इस दौरान वह अन्य जमीनी स्तर के संवाद करने के अलावा ग्राम और महिला सभाएं आयोजित करेगा.' उन्होंने कहा, 'इस योजना का मूल उद्देश्य सरकारी तंत्र को उसकी कुर्सी से उठाकर गांवों में बसे लोगों के घरों के दरवाजों तक ले जाना है.' उन्होंने कहा कि इस दौरान अधिकारी उन्हें दी गई 20 पन्नों की बुकलेट में लिखित दिशा-निर्देशों पर आंकड़ें एकत्रित करेंगे.

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उठाई जाएंगी पंचायतस्तर की समस्याएं
दूरदर्शन केंद्र में एक करंट अफेयर्स कार्यक्रम के दौरान उन्होंने कहा, 'प्रत्येक पंचायत की पांच मुख्य समस्याएं उठाईं जाएंगी. सभी आंकड़े इकट्ठे होने के बाद, हम इसे अपनी वेबसाइट पर डालेंगे और संबंधित प्रशासनिक विभाग को इस समस्याओं को प्राथमिकता पर सुलझाने के लिए कहा जाएगा. गांव का दौरा करने वाले व्यक्ति को उस गांव के नोडल अधिकारी के रूप में नामित किया जाएगा.' गौरतलब है कि जम्मू एवं कश्मीर के ग्रामीण क्षेत्रों में सड़कों, स्कूलों, स्वास्थ्य केंद्रों, बिजली, स्वच्छता और स्वच्छ पेयजल जैसी कई समस्याएं हैं.

HIGHLIGHTS

  • 4,500 पंचायतों में जाकर सरकारी अधिकारी दो दिन और एक रात बिताएगा.
  • इस दौरान वह उनके समस्याओं को नजदीकी से समझ उनका फीडबैक लेगा.
  • इस फीडबैक के आधार पर समस्याओं को प्राथिमकता से सुलझाया जाएगा.
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