जम्मू-कश्मीर के राज्यपाल सत्यपाल मलिक ने राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला द्वारा स्थायी निवासी प्रमाणपत्र (पीआरसी) के मुद्दे पर उठाए गए सवालों को लेकर जवाब दिया है. राज्यपाल ने कहा है कि सरकार पीआरसी को लेकर कोई नया कानून नहीं बना रही है या मौजूदा कानून में बदलाव कर रही है. सत्यपाल मलिक ने अपने जवाब में कहा कि यह जम्मू-कश्मीर के कानूनी ढांचे का अहम हिस्सा है और इस कानून में हस्तक्षेप करने की कोई कोशिश नहीं है. राज्यपाल ने उमर अब्दुल्ला द्वारा रविवार को किए गए ट्वीट के जवाब में ये बातें कहीं.
राज्यपाल ने अपने पत्र में लिखा, 'मैं आपको बताना चाहता हूं कि स्थायी निवासी प्रमाणपत्र जारी करने की कार्यविधि में कोई भी बदलाव सभी हितधारकों के साथ बिना लंबे विचार-विमर्श के नहीं किया जाएगा.'
साथ ही राज्यपाल ने अपने पत्र में लिखा, 'एक वरिष्ठ नेता होने के नाते, मैं आपसे विनती करता हूं कि ऐसी तुच्छ और निराधार रिपोर्ट्स पर ध्यान न लगाया करें. संयोग से मेरा फैक्स मशीन काम कर रहा था और आपका फैक्स मुझे मिला और मेरे ऑफिस के द्वारा इसकी पुष्टि की गई थी जब आप ट्वीट कर रहे थे कि यह काम नहीं कर रहा है.'
— Office of J&K Governor (@jandkgovernor) December 2, 2018
इससे पहले जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने राज्य में स्थायी निवासी प्रमाणपत्र (पीआरसी) जारी करने की प्रक्रिया में प्रस्तावित बदलावों पर चिंता व्यक्त करते हुएअपने ट्विटर पर राज्य के राज्यपाल को संबोधित करते हुए एक पत्र पोस्ट किया था.
उन्होंने लिखा था, 'जम्मू-कश्मीर में स्थायी निवासी प्रमाणपत्र नियमों में प्रस्तावित बदलावों की रिपोर्ट के बारे में राज्यपाल को नेशनल कांफ्रेंस की ओर से हमारी चिंता दर्ज कराता हुआ मेरा पत्र.'
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अब्दुल्ला ने यह भी कहा था कि वह राज्यपाल कार्यालय को पत्र फैक्स करने का प्रयास कर रहे थे. लेकिन, वहां की फैक्स मशीन काम नहीं कर रही है, इसलिए उन्होंने ट्विटर पर पत्र की प्रति पोस्ट की है.
उन्होंने एक अन्य पोस्ट में कहा था, 'मैंने राज्यपाल को पत्र फैक्स करने का प्रयास किया लेकिन वहां की फैक्स मशीन अभी भी काम नहीं कर रही है. फोन ऑपरेटर ने कहा कि फैक्स ऑपरेटर रविवार होने के कारण आज छुट्टी पर है. कल फिर इस समय प्रयास करूंगा. फिलहाल मैं सोशल मीडिया के माध्यम से पत्र जारी करने को लेकर मजबूर हूं.'
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राज्य संविधान के अनुच्छेद 35(ए) में निहित शक्तियों के तहत राज्य विधायिका द्वारा परिभाषित पीआरसी (स्थायी निवासी प्रमाणपत्र) जम्मू-कश्मीर के स्थायी निवासियों को जारी किया जाता है. इस अनुच्छेद को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गई है.
Source : News Nation Bureau