जम्मू-कश्मीर की सियासी हलचल एक बार फिर बढ़ गई है. गुरुवार को होने वाली प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की बैठक से पहले आज यानि बुधवार को परिसीमन आयोग की बैठक होनी है. बुधवार को जम्मू-कश्मीर के लिए गठित परिसीमन आयोग की अध्यक्ष सुप्रीम कोर्ट के रिटायर्ड जज रंजना प्रकाश देसाई और मुख्य चुनाव आयुक्त सुशील चंद्रा सभी जिलों के डिप्टी कमिश्नर के साथ मीटिंग करेंगे. ये मीटिंग वर्चुअली ही होगी और इसमें परिसीमन को लेकर इकट्ठे किए गए डेटा पर चर्चा होगी. इससे पहले मंगलवार को गुपकार गुट के नेताओं ने बैठक की थी. उन्होंने प्रधानमंत्री मोदी के निमंत्रण को स्वीकार किया था.
विधानसभा चुनाव को लेकर पीएम कर सकते हैं बातचीत
24 जून को प्रधानमंत्री मोदी ने बड़ी बैठक बुलाई है. इस बैठक में जम्मू कश्मीर के नेताओं को भी आमंत्रित किया गया है. पीएम के साथ मीटिंग में विधानसभा चुनावों को लेकर भी चर्चा होने की संभावना है. ऐसे में आयोग के ऊपर भी जल्द से जल्द अपना काम पूरा करने की जिम्मेदारी है. जम्मू-कश्मीर के सभी 20 जिलों के डिप्टी कमिश्नर ने पहले ही परिसीमन आयोग को एक प्रोविजनल डेटा भेज दिया है और अब आयोग एक ड्राफ्ट मैप बनाने पर काम कर रहा है, जिसे दावे-आपत्ति पर पब्लिक डोमेन में रखा जाएगा. चुनाव से पहले चुनाव आयोग भी जम्मू-कश्मीर के इलेक्टोरल रोल पर काम कर रहा है. परिसीमन 2011 की जनगणना पर आधारित होगा, लेकिन आयोग ने जिले के डिप्टी कमिश्नरों को डेमोग्राफिक पैटर्न और जेंडर डेटा के आधार पर डेटा अपडेट करने को कहा है.
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83 से बढ़कर 90 हो सकती हैं सीटें
लद्दाख से अलग होने के बाद केंद्र शासित प्रदेश से राज्य बनाए जाने की प्रक्रिया में जम्मू कश्मीर (Jammu Kashmir) विधान सभा को सात और सीटें मिलने के आसार बन रहे हैं. इससे राज्य की प्रस्तावित विधानसभा में पहले की 83 सीटों के मुकाबले 90 सीटें हो सकती हैं. अनुच्छेद 370 और 35A को निरस्त करने से पहले जम्मू-कश्मीर विधानसभा में कुल 87 सीट थीं. इसमें जम्मू इलाके से 37 सीटें, कश्मीर से 46 सीटें और लद्दाख से 04 उम्मीदवार आते थे. जब 5 अगस्त 2019 में लद्दाख को अलग केंद्र शासित प्रदेश बनाया गया तब जम्मू-कश्मीर विधानसभा की कुल संख्या घटकर 83 हो गई.
जम्मू-कश्मीर में विधान सभा क्षेत्रों के नए सिरे से सीमांकन यानी डिलिमिटेशन की प्रक्रिया जारी है. इस सिलसिले में 2011 की जनगणना को आधार बनाकर काम आगे बढ़ाया जा रहा है. निर्वाचन आयोग और सीमांकन आयोग के उच्च पदस्थ सूत्रों के मुताबिक 2011 की जनगणना में इस क्षेत्र में घाटी की आबादी 68 लाख 88 हजार 475 और जम्मू क्षेत्र की 53 लाख 78 हजार 538 थी. इस आबादी के तहत जम्मू संभाग में विधान सभा की 36 और घाटी में 47 सीटें थीं. लेकिन उस वक्त आबादी और विधान सभा हलके का निर्धारण मनमाने अनुपात में था.
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कश्मीर घाटी में कुछ हजार आबादी के लिए एक विधायक होता था तो जम्मू संभाग के कई क्षेत्रों में एक एक विधान सभा सीट में लाख के करीब वोटर थे. करीब दो साल से जम्मू कश्मीर विधान सभा के क्षेत्र निर्धारण की प्रक्रिया चल रही है. इस साल के अंत तक इसके पूरा होने के आसार हैं.
दरअसल, 5 अगस्त 2019 को जम्मू-कश्मीर को खास दर्जा देने वाले आर्टिकल 370 को हटा दिया गया था. साथ ही जम्मू-कश्मीर और लद्दाख को दो अलग-अलग केंद्र शासित प्रदेश बना दिया गया था. जम्मू-कश्मीर में विधानसभा भी है. इसलिए यहां चुनाव के लिए सुप्रीम कोर्ट की रिटायर्ड जज रंजना प्रकाश देसाई परिसीमन आयोग का गठन किया गया था. आयोग को जम्मू-कश्मीर के साथ-साथ मणिपुर, अरुणाचल प्रदेश, असम और नागालैंड में भी परिसीमन तय करना है.
इस आयोग को इसी साल 5 मार्च तक अपनी रिपोर्ट देनी थी. लेकिन कोविड के चलते ऐसा नहीं हो पाया था. जिसके बाद आयोग का कार्यकाल एक साल के लिए और बढ़ा दिया गया है. अब आयोग को 6 मार्च 2022 से पहले परिसीमन की प्रक्रिया को पूरा करना है. जम्मू-कश्मीर में आखिरी बार 1995 में परिसीमन हुआ था.
HIGHLIGHTS
- बुधवार को परिसीमन आयोग की बैठक
- 24 को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी करेंगे बड़ी बैठक
- जम्मू कश्मीर में विधानसभा चुनाव को लेकर हो सकता है फैसला