जमशेदपुर के फेमस लेखक अंशुमन भगत ने अपनी नई किताब जाति मत पूछो का विमाचन कर दिया. इस किताब का प्रकाशन ऑथर्स ट्री पब्लिकेशिंग हाऊस ने किया है और ये बिलासपुर छत्तीसगढ़ में स्थित है. ये किताब समाज के ताना-बाना के लिए आईना का काम कर रही है. इस किताब में जातिवाद और समाजिक असमानता पर आधारित है. इस पुस्तक की चर्चा हर जगह हो रही है. हलांकि इससे विवाद भी हो सकते हैं क्योंकि इस किताब में समाज में फैले जातिवाद और असमानता को दिखा रही है.
'जाति मत पूछो' पुस्तक के जरिए लेखक भगत ने समाज में फैले सभी मुद्दों पर बात की है और अपना विचार साझा किया है. ये किताब उन सभी का समर्थन करता है जो वर्तमान जाति और असमानता से खुश नहीं है और बदलाव की मांग करते हैं. ये किताब उन विवादों के बीच है, जो सामाजिक बदलाव की मांग को लेकर सामने आते रहते हैं.इस किताब में उन सभी लोगों के विरोध में विस्तारपूर्वक चर्चा की गई है जो समाज में असमानता और जातिवाद को बढ़ाने में किसी भी तरह से मदद करते हैं.
किताब के विमोचन के दौरान जमशेदपुर में लेखक अंशुमन भगत ने कहा कि ये किताब एक 'तमाचा' है जिसके जरिए समाज में फैले असमानता और जातिवाद जैसे पर चर्चा करने से बचते हैं. इस किताब के जरिए समाज के ताना-बाना पर नजर रखा जा सकता है. इस पुस्तक की छपाई विवाद होने की संभावना से इंकार नहीं किया जा सकता है, लेकिन किताब को समझने वाले या किताब से रुचि रखने वाले इस किताब का समर्थन करेंगे और इसे जरूर पढ़ेंगे. इस किताब का एक ही मकसद है कि पाठक 'जाति मत पूछो' पुस्तक पढ़कर समाज के व्यवस्था को समझेंगे जिससे समाज में सकारात्मक बदलाव आएगा. इस किताब को पढ़कर लोग जातिवाद के खिलाफ खड़े होंगे और इसके कुरीति के खिलाफ चल रहे मुहिम का समर्थन करेंगे.
हम सब समाज में दखेते है कि जाति के नाम पर कई तरह की घटनाएं देखने को मिल जाती है. इसकी वजह से समाज का लगातार ह्रास हो रहा है. भारतीय समाज में एक ताना बाना है जिसपर प्रहार किया गया है. इस किताब में बताया गया है किस तरह से जाति और असमानता हमारे सभ्य समाज के लिए खतरनाक है. इसके न सिर्फ लोगों के लिए नुकसानदायक है बल्कि ये मानवता के लिए भी खतरा है. लेखक ये सभी संवेदनशील मुद्दों को अपनी नई पुस्तक में जगही दी है और एक सकारात्मक बदलाव की कामना की है.
Source : News Nation Bureau