तमिलनाडु की पूर्व सीएम जयललिता के निधन मामले में एक नया मोड़ सामने आ गया है. अपोलो अस्पताल ने मेडिकल जांच के लिए नए बोर्ड के गठन की मांग की है. जिसमें डॉक्टर और चिकित्सा पेशवर को शामिल किया जाए. अरुमुगस्वामी आयोग को दिए हलफनामे में अपोलो अस्पताल ने मेडिकल टीम के गठन की मांग की है. अपोलो अस्पताल का ये कहना है कि वो ये चाहते हैं कि जयललिता की इलाज से जुड़ी मेडिकल साइंटिफिक तथ्यों की सही तरह से व्याख्या हो. अस्पताल का कहना है कि मेडिकल शब्दावली और बयानों को गलत तरह से पेश किया जा रहा है. अस्पताल प्रबंधन का कहना है कि इंट्यूबेशन की जगह इंक्यूबेशन रिकॉर्ड किया गया है. जोकि खतरनाक त्रुटियां है और आयोग इसे गलत तरीके से समझेगी.
अपोलो अस्पताल का आरोप है कि जांच आयोग के सामने जो तथ्य पेश किए गए हैं उसमें तमाम खामियां हैं. अगर आयोग के सामने गलत रिकॉर्ड पेश किए जाएंगे तो जांच आयोग सही निष्कर्ष पर नहीं पहुंच पाएगा. इसलिए इस मामले में मेडिकल जांच टीम गठित करने की जरूरत है.
इसे भी पढ़ें : जयललिता मौत विवाद: अस्पताल ने बताया, इलाज के वक्त ICU के सभी CCTV कैमरे बंद थे
बता दें कि 13 नवंबर को दो डॉक्टर एक सदस्यीय आयोग के सामने पेश हुए ते और उन दावों को खारिज किया था कि जयललिता का निधन स्लो प्वाइजन देने की वजह से हुई है. इस मामले में पेंच इसलिए भी फंसा है कि क्योंकि जयललिता मौत की जांच कर रहे आयोग के समक्ष अपोलो अस्पताल की एक टेक्निशियन ने कार्डिएक अरेस्ट का जो समय बताया है, वह अस्पताल द्वारा दी गई जानकारी से अलग है. टेक्निशियन के अनुसार यह समय शाम के 3.50 बजे का था वहीं अस्पताल ने 4.20 का बताया है. अस्पताल के ही समय को वीके शशिकला ने भी बताया था.
गौरतलब है कि लंबी बीमारी के बाद 5 दिसंबर 2016 को जयललिता का निधन हो गया था. उनके निधन के बाद उनकी मौत के कारणों की जांच की मांग उठने लगी थी.
Source : News Nation Bureau