झारखंड के मुख्यमंत्री रघुबर दास ने प्रदेश में सरकार के खिलाफ होने वाले विरोध प्रदर्शन को प्रायोजित बताते हुए इस बात से इनकार किया कि जमीन के मसले को लेकर जनजाति समुदाय में उनकी सरकार के प्रति कोई असंतोष है. रघुबर दास ने कहा कि नक्सली और अन्य ताकतें सरकार द्वारा किए जा रहे विकास कार्य के मार्ग में रोड़े अटका रही हैं.
दास ने संवाददाताओं से बातचीत के दौरान दावा किया कि भारतीय जनता पार्टी 2019 में होने वाले लोकसभा चुनाव में सभी 14 सीटों पर जीत हासिल करेगी और विधानसभा चुनाव में भी उन्होंने 81 में 60 सीटों पर भाजपा की जीत का दावा किया.
दास ने कहा, 'विपक्ष के पास कोई मुद्दा नहीं है. वे प्रचार के लिए मसले उठा रहे हैं. उनका विरोध-प्रदर्शन समाचार पत्रों तक ही सीमित है. सारा विरोध-प्रदर्शन शतप्रतिशत प्रायोजित है.'
उनसे जब यह पूछा गया कि प्रायोजित विरोध से उनका अभिप्राय क्या है तो उन्होंने कहा, 'हां सौ फीसदी.. दो सौ फीसदी प्रायोजित. यह नियोजित है.'
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उन्होंने कहा, 'मैं जो कुछ भी बता रहा हूं वह अपने तीन साल से अधिक समय के शासन के अनुभव से बता रहा हूं. कुछ राष्ट्र विरोधी ताकतें हैं जो राज्य के विकास में बाधा उत्पन्न कर रही हैं. वे चाहते हैं कि गरीब गरीब बना रहे ताकि धर्मातरण हो सके. अब हमने धर्मातरण के खिलाफ एक कानून पास कर दिया है. उनका कारोबार ठप पड़ गया है.'
मुख्यमंत्री प्रदेश में भूमि अधिग्रहण कानून 2013 में राज्य की विधानसभा द्वारा 2017 में इस कानून में किए गए संशोधन और छोटानागपुर टेनेंसी एक्ट व संथाल परगना टेनेंसी एक्ट के खिलाफ जनजाति समुदाय द्वारा किए जा रहे विरोध-प्रदर्शन को लेकर पूछे गए सवालों का जवाब दे रहे थे.
झारखंड मुक्ति मोर्चा (जेएमएम) और कांग्रेस द्वारा इन विधेयकों का विरोध हो रहा है. दोनों दलों ने सरकार पर जनजाति से जमीन लेकर उद्योगों को सौंपने का आरोप लगाया है.
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सरकार विरोधी प्रदर्शन के प्रभाव के बारे में पूछे जाने पर मुख्यमंत्री ने कहा, ' नहीं.. कुछ नहीं. कोई मसला नहीं है. राज्य के जनजाति समुदाय में कोई असंतोष नहीं है. मैं बिल्कुल चिंतित नहीं हूं.'
उन्होंने आगे कहा कि उनकी सरकार जनजातियों को जमीन के लिए चार गुना मुआवजा दे रही है.
उन्होंने दावा किया कि लोग खुद अपनी जमीन देने के लिए आगे आ रहे हैं.
मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रदेश के जनजाति समुदाय को केंद्र और राज्य सरकारों की योजनाओं का लाभ मिल रहा है.
उनसे जब पूछा गया कि विरोध प्रदर्शन किसके द्वारा प्रायोजित है तो उन्होंने कहा, 'विकास और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का विरोध करने वाले राष्ट्रद्रोही ताकतें.'
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उन्होंने कहा, 'कुछ राष्ट्रद्रोही ताकतें और माओवादी हैं जिनका एकमात्र उद्देश्य विकास कार्य में रुकावट डालना है. वे लोगों को गुमराह कर रहे हैं. वे प्रदेश का विकास देखना नहीं चाहते हैं. वे चाहते हैं कि जनजाति गरीब रहे और भीख मांगते रहे. '
जेएमएम के बारे में उन्होंने कहा कि परिवार पार्टी जनजाति के नाम पर राजनीति कर रही है लेकिन लोग अब सतर्क हो गए हैं.
Source : IANS