कांग्रेस में उत्तर भारत के बड़े चेहरे और राहुल और प्रियंका गांधी के करीबी रहे जितिन प्रसाद ने बीजेपी का दामन थाम लिया है. बीजेपी मुख्यालय में उन्होंने पीयूष गोयल और अनिल बलूनी की मौजूदगी में पार्टी की सदस्यता ली. जितिन प्रसाद पिछले काफी समय से कांग्रेस शीर्ष नेतृत्व से नाराज चल रहे थे. बीजेपी में शामिल होने से पहले उन्होंने गृहमंत्री अमित शाह से मुलाकात की. अगले साल होने वाले उत्तर प्रदेश चुनाव से पहले कांग्रेस को बड़ा झटका माना जा रहा है. इस बड़े राजनीतिक परिवर्तन के पीछे बीजेपी नेता और केंद्रीय मंत्री पीयूष गोय़ल की अहम भूमिका रही है.
बता दें हाल ही में संपन्न हुए पश्चिम बंगाल चुनाव में जितिन राज्य के प्रभारी थे और वहां पार्टी को एक भी सीट नहीं मिली थी. बीते साल ही जितिन प्रसाद ने अपनी अगुवाई में एक ब्राह्मण चेतना परिषद नाम से संगठन स्थापित किया था. बीजेपी का जितिन प्रसाद को पार्टी में लाने का मकसद है कि पार्टी के नाराज चल रहे ब्राह्मण समुदाय के लोगों को साधा जा सके. गौरतलब है कि योगी आदित्यनाथ के सीएम बनने के बाद से यह कहा जा रहा था कि वे ठाकुरों का पक्ष ज्यादा ले रहे हैं और प्रशासन में नियुक्ति तक पर योगी पर इस प्रकार के आरोप लगे.
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बताया जा रहा है कि वह कांग्रेस के प्रदेश नेतृत्व से नाराज चल रहे थे. बताया यह भी जा रहा है कि जितिन प्रसाद पहले ही बीजेपी में शामिल हो जाते लेकिन, प्रियंका गांधी के मान मनौव्वल के बाद वे मान गए थे. बीजेपी के इस दांव को पार्टी की ओर से आगामी विधानसभा चुनाव की तैयारी और उठापटक का एक कदम माना जा रहा है. कांग्रेस पार्टी यूपी में जमीन तलाश रही है और ऐसे में एक दिग्गज नेता का पार्टी से जाना उसे और कमजोर करेगा. इससे पहले 2019 में भी जितिन प्रसाद के कांग्रेस छोड़ने की खबरें सामने आई थी. हालांकि, कुछ दिन बाद खुद जितिन प्रसाद सामने आए थे और कहा था कि मैं काल्पनिक सवालों का जवाब नहीं देता हूं. जितिन प्रसाद, कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी के करीबी हैं. इससे पहले राहुल के ही सबसे करीबी ज्योतिरादित्य सिंधिया ने बीजेपी का दामन थाम लिया था. इसके बाद बीजेपी ने सिंधिया को राज्यसभा भेजा था.अब सिंधिया के समर्थक उन्हें केंद्रीय मंत्रिमंडल में शामिल किए जाने की बहुत दिनों से मांग कर रहे हैं.
कई और नेता हो सकते हैं बीजेपी में शामिल
सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार अभी और भी कांग्रेस के नेता बीजेपी में शामिल हो सकते हैं. बीजेपी की रणनीति हमेशा से ऐसी रही है कि चुनावों से पहले विपक्षी दलों को कमजोर किया जाए और उनके बड़े नेताओं को पार्टी में शामिल किया जाए. गौरतलब है कि अगले साल के आरंभ में ही यूपी में चुनाव होने वाले है. जितिन प्रदाद यूपी के शाहजहांपुर से राजनीति के माहिल खिलाड़ी माने जाते हैं.
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जी-23 खेमे में रहे हैं शामिल
कांग्रेस के 23 बड़े नेता जिसमें गुलाम नबी आजाद, कपिल सिब्बल, आनंद शर्मा, राजबब्बर, भूपेंद्र सिह हुड्डा, पीजे कूरियन जैसे बड़े चेहरे शामिल थे, ने सोनिया गांधी को शीर्ष नेतृत्व को लेकर एक चिट्टी लिखी थी. इस चिट्ठी में आलाकमान पर कई सवाल उठाए गए थे. उल्लेखनीय है कि जितिन प्रसाद कांग्रेके उन 23 नेताओं में से एक हैं पार्टी नेतृत्व में बदलाव की बात करते हैं. इस गुट को लेकर शीर्ष नेतृत्व अभी तक मनाने में नाकाम ही रहा है. गुलाम नबी आजाद की राज्यसभा से विदाई के बाद इस गुट के सभी बड़े नेता जम्मू में एक बैठक में शामिल हुए थे. गुलाम नबी आजाद के साथ एकजुटता जाहिर करते हुए 'G-23' नेताओं ने जम्मू-कश्मीर के पूर्व सीएम के साथ कांग्रेस के रवैये पर सवाल उठाए. कपिल सिब्बल ने कहा कि जब हमें पता चला कि गुलाम नबी आजाद को संसद से मुक्त किया जा रहा है, तो हमें बहुत दुख हुआ. हम नहीं चाहते थे कि वह सेवानिवृत्त हों.
Source : News Nation Bureau