सरकार बनाने के विवादित दावों के बीच जम्मू-कश्मीर के राज्यपाल ने बुधवार रात राज्य विधानसभा को भंग करने की सिफारिश कर दी। राज्यपाल सत्यपाल मलिक ने एक बयान में इस फैसले की घोषणा की. विधानसभा भंग किए जाने का मतलब यह हुआ कि अब राज्य में बिना चुनाव दोबारा सरकार का गठन नहीं किया जा सकता है. आइए इस पूरे मामले को 7 प्वाइंट के ज़रिए समझने की कोशिश करते हैं-
1. राज्यपाल की इस घोषणा के साथ ही पीडीपी-कांग्रेस की कोशिशों को झटका लगा है. विधानसभा भंग किए जाने का मतलब है कि राज्य में दोबारा चुनाव के बाद ही सरकार बनाई जा सकती है.
2. 19 दिसंबर को राज्यपाल शासन की 6 महीने की मियाद पूरी हो रही थी. इससे पहले राज्यपाल सत्यपाल मलिक ने 87 सदस्यीय विधानसभा को भंग नहीं करने का फैसला किया था. ऐसे में 19 दिसंबर तक सभी पार्टियों के पास सरकार बनाने का समय था.
3. इससे कुछ ही समय पहले जम्मू कश्मीर की पूर्व मुख्यमंत्री और पीडीपी अध्यक्ष महबूबा मुफ्ती ने कांग्रेस और नेशनल कान्फ्रेंस के समर्थन से जम्मू कश्मीर में सरकार बनाने का दावा पेश किया था.
4. मुफ्ती ने आज राज्यपाल सत्यपाल मलिक को लिखे पत्र में कहा था कि राज्य विधानसभा में पीडीपी सबसे बड़ी पार्टी है जिसके 29 सदस्य हैं।
5. उन्होंने लिखा, ‘‘आपको मीडिया की खबरों में पता चला होगा कि कांग्रेस और नेशनल कान्फ्रेंस ने भी राज्य में सरकार बनाने के लिए हमारी पार्टी को समर्थन देने का फैसला किया है। नेशनल कान्फ्रेंस के सदस्यों की संख्या 15 है और कांग्रेस के 12 विधायक हैं। अत: हमारी सामूहिक संख्या 56 हो जाती है।’’
6. इस साल 16 जून को पीडीपी-बीजेपी गठबंधन से बीजेपी अलग हो गई थी. जिसके बाद से यहां राज्यपाल शासन लगा हुआ था.
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7. PDP के पास 28 विधायक हैं, जबकि नेशनल कांफ्रेंस के पास 15 और कांग्रेस के 12 विधायक हैं.
Source : News Nation Bureau