धारा 370 की आड़ में हर गुनाह से बचता आ रहा अलगाववादी नेता और जम्मू-कश्मीर लिबरेशन फ्रंट के मुखिया यासीन मलिक पर अब कानून का फंदा और कसने जा रहा है. मनी लांड्रिंग और टेरर फंडिंग में एनआईए द्वारा गिरफ्तार यासीन मलिक पर लगभग तीस साल बाद चार वायुसेना के अधिकारियों-सैनिकों की हत्या का मुकदमा 1 अक्टूबर से टाडा कोर्ट में चलेगा. यही नहीं, एनआईए केंद्रीय गृह मंत्री रहे मुफ्ती मोहम्मद सईद की बेटी रूबिया सईद के अपहरण के मामले में भी यासीन मलिक की भूमिका की जांच शुरू कर सकती है. ये दोनों ही असामान्य मामले हैं, जिससे यासिन मलिक अब तक बचता आ रहा था.
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वायुसेना के जवानों की हत्या की साजिश रची
गौरतलब है कि 1990 में गणतंत्र दिवस की पूर्व संध्या पर स्क्वॉड्रन लीडर रवि खन्ना और उनके तीन साथियों की श्रीनगर के बाहरी इलाके में हत्या कर दी गई थी. रावलपोरा में हुई इस दुर्दांत घटना में यासीन मलिक का न सिर्फ नाम आया था, बल्कि सूत्रों ने उसे ही जिम्मेदार बताया था. मलिक पर वायुसेना के जवानों पर घातक हमले की साजिश रचने का आरोप है. यह अलग बात है कि बाद के समय में यासीन मलिक पर न सिर्फ फारुक अब्दुल्ला, बल्कि रूबिया सईद भी मेहरबान रही. यहां तक एनआईए की गिरफ्तारी पर उन्होंने जमकर हाय-तौबा मचाई.
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अब टाडा कोर्ट में चलेगा मुकदमा
हालांकि अब जम्मू-कश्मीर लिबरेशन फ्रंट (जेकेएलएफ) के अलगाववादी नेता यासीन मलिक के खिलाफ वायुसेना के चार जवानों की हत्या के मामले में 1 अक्टूबर को टाडा कोर्ट में सुनवाई होगी. जम्मू टाडा कोर्ट ने मलिक के खिलाफ गैर-जमानती वॉरंट जारी करते हुए पुलिस को उन्हें 11 सितंबर तक कोर्ट के सामने पेश करने को कहा था. गौरतलब है कि धारा 370 के कारण जम्मू-कश्मीर में टाडा कोर्ट का गठन नहीं हो सका था. इसी आधार पर 1995 में जम्मू-कश्मीर हाई कोर्ट की सिंगल बेंच ने श्रीनगर में टाडा कोर्ट नहीं होने का हवाला देकर मलिक के खिलाफ केस की सुनवाई पर रोक लगा दी थी.
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यह है मामला
25 जनवरी, 1990 के आतंकी हमले के प्रत्यक्षदर्शियों ने पुलिस को बताया था कि स्क्वॉड्रन लीडर रवि खन्ना ने कार में आए आतंकवादियों के हमले से अपने साथियों को बचाने की कोशिश की. इस दौरान वह आतंकियों के बेहद खतरनाक स्वचालित हथियारों का निशाना बन गए.उस आतंकी हमले का साजिश रतने का आरोप यासीन मलिक पर है. यही नहीं 1989 में तत्कालीन केंद्रीय गृह मंत्री मुफ्ती मोहम्मद सईद की बेटी रुबैया सईद के अपहरण में भी मलिक का ही हाथ बताया जाता है.
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अब तक क्या हुआ
2008 में मलिक ने यह कहते हुए विशेष अदालत का दरवाजा खटखटाया कि उसके खिलाफ मुकदमे की सुनवाई श्रीनगर में होनी चाहिए, क्योंकि अमरनाथ यात्रा पर मचे बवाल के कारण उसकी सुरक्षा को खतरा है, दरअसल, हर साल आयोजित होने वाली अमरनाथ यात्रा के दौरान बाहरियों को लीज पर जमीन देने के मुद्दे पर जम्मू और कश्मीर के लोगों के विचार धार्मिक आधार पर बंट गए थे. ऐसे में इस वर्ष 26 अप्रैल को जम्मू-कश्मीर हाई कोर्ट ने 2008 में दो मुकदमों की सुनवाई श्रीनगर ट्रांसफर करने के सिंगल बेंच के आदेश को रद्द कर दिया.
HIGHLIGHTS
- 1 अक्टूबर से जम्मू-कश्मीर की टाडा कोर्ट यासीन मलिक पर चलाएगी हत्या का मुकदमा
- यासीन मलिक पर 1990 में वायुसेना के चार जवानों की आतंकी साजिश में हत्या का आरोप.
- अब तक धारा 370 की आड़ में किसी न किसी बहाने बचता आ रहा था अलगाववादी नेता.