सीबीआई जज बी.एच. लोया की रहस्यमयी मौत के मामले को सुप्रीम कोर्ट 'अत्यंत गंभीरता' से ले रहा है। सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को कहा कि वह जज लोया की मौत का केस को अत्यंत गंभीरता से ले रहा है।
इसके साथ ही इस मामले पर अदालत कक्ष के बाहर जो भी कहा गया उस पर सुप्रीम कोर्ट ध्यान नहीं देगी।
प्रधान न्यायाधीश दीपक मिश्रा की अध्यक्षता वाली पीठ ने वरिष्ठ अधिवक्ता दुष्यंत दवे को आश्वस्त किया कि कोई भी इस मामले में उन्हें दलील रखने से नहीं रोक सकता है।
रिपोर्ट्स के मुताबिक सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि अगर जरूरत हुई तो जांच के आदेश भी जारी किए जाएंगे।
पीठ की यह टिप्पणी तब आई जब बांबे लॉयर्स एसोसिएशन की तरफ से उपस्थित अधिवक्ता दवे ने दावा किया कि बार काउन्सिल ऑफ इंडिया ने लोया की मौत से संबंधित मामले में दलील रखने को लेकर हाल में उन्हें कारण बताओ नोटिस जारी किया है।
और पढ़ें: रोटोमैक के मालिक विक्रम कोठारी के आवास पर CBI की छापेमारी जारी, बैंकों को लगाई करोड़ों की चपत
बता दें कि जज लोया की संदिग्ध मौत के मामले में विपक्षी सांसदों ने राष्ट्रपति को याचिका देकर सुप्रीम कोर्ट की नेतृत्व वाली एसआईटी जांच की मांग की है। विपक्ष के 15 पार्टियों के कुल 114 सांसदों ने इस याचिका पर हस्ताक्षर किए हैं। सुप्रीम कोर्ट में इस मामले में एसआईटी जांच की मांग की याचिका पर सुनवाई चल रही है।
उल्लेखनीय है कि न्यायाधीश लोया एक दिसंबर, 2014 को नागपुर में कथित तौर पर हृदयाघात के कारण निधन हो गया था, जब वह एक साथी न्यायाधीश की बेटी की शादी में शामिल होने वहां गए थे।
न्यायाधीश लोया उस समय सोहराबुद्दीन शेख फर्जी मुठभेड़ के संवेदनशील मामले को देख रहे थे, जिसमें भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के अध्यक्ष अमित शाह एक प्रमुख आरोपी थे। इसके अलावा गुजरात पुलिस के कई शीर्ष पुलिस अधिकारी भी उसमें आरोपी थे।
और पढ़ें: भारत दौरे पर आये डोनाल्ड ट्रंप जूनियर पहुंचे दिल्ली, निवेशकों से करेंगे मुलाकात
Source : News Nation Bureau