राष्ट्रीय मानव अधिकार आयोग के मुताबिक पिछले एक साल के दौरान उत्तरप्रदेश में हिरासत में 428 क़ैदियों की मौत हुई है। ताज़ा आंकड़ा अक्टूबर-2015 से सितम्बर-2016 का है जिसके अनुसार उत्तरप्रदेश में सबसे अधिक क़ैदी की मौत हुई है जिनमें से 27 ऐसे क़ैदी हैं जो न्यायिक हिरासत में रह रहे थे।
राष्ट्रीय मानव अधिकार आयोग के चेयरमैन जस्टिस एच.एल.दत्तू ने कहा है कि ताज़ा आंकड़ों (अक्टूबर-2015 से सितम्बर-2016) के अनुसार सबसे अधिक क़ैदियों की मौत उत्तरप्रदेश में हुई है। इसमें 401 ऐसे क़ैदी हैं जो हिरासत में रह रहे थे जबकि 27 क़ैदी ऐसे हैं जो न्यायिक हिरासत में रह रहे थे।
राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग के स्थापना दिवस पर दत्तू पत्रकारों को संबोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि पिछले वर्ष अक्तूबर से इस साल सितंबर तक 1757 लोगों की मौतें न्यायिक हिरासत में हुई है, जबकि 192 लोगों की मौत पुलिस हिरासत में हुई।
जस्टिस दत्तू ने बताया, 'आयोग को मानवाधिकार हनन के बारे में हर साल एक लाख से अधिक शिकायतें मिलती हैं। इससे पता चलता है कि लोगों में अधिकारों के बारे में जागरूकता बढ़ी है और उनका मानवाधिकार आयोग में भी विश्वास बढ़ा है।'
वहीं अगर पूरे देश की बात करें तो पिछले एक साल में न्यायिक और पुलिस हिरासत में करीब दो हजार लोगों की मौत हो चुकी है। इनमें सबसे अधिक 428 मौतें अकेले उत्तर प्रदेश में हुई हैं।
एनएचआरसी प्रमुख ने कहा कि इस संस्था में लोगों का विश्वास बरकरार रखने की जिम्मेदारी केंद्र और राज्य सरकार की है। इसलिए केंद्र और राज्य सरकारों को यह विश्वास बनाए रखने के लिए आयोग की सिफारिशों को नजरंदाज नहीं करना चाहिए।
नए सर्वे के मुताबिक उत्तर प्रदेश में 428, पंजाब में 170, मध्य प्रदेश में 165, महाराष्ट्र में 128, पश्चिम बंगाल में 98, राजस्थान में 93, बिहार में 90 और झारखंड में 70 कै़दियों की मौत हुई है।
Source : News Nation Bureau