सुप्रीम कोर्ट के रिटायर जस्टिस अरुण कुमार मिश्रा (Justice Arun Kumar Mishra) राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (NHRC) के नए अध्यक्ष होंगे. प्रधानमंत्री (Prime Minister) की अध्यक्षता वाली उच्चस्तरीय नियुक्ति समिति ने सोमवार को नियुक्ति पर मुहर लगा दी. महेश मित्तल कुमार (Mahesh Mittal Kumar) और डॉ. राजीव जैन (Dr, Rajiv Jain) आयोग के सदस्य होंगे. हालांकि समिति में शामिल राज्यसभा में विपक्ष के नेता मल्लिकार्जुन खड़गे (Mallikarjun Khadge) ने एससी-एसटी समुदाय (SC-ST Community) के प्रतिनिधि को मानवाधिकार आयोग का सदस्य नहीं बनाए जाने पर एतराज जताते हुए बैठक में अपनी असहमति जताई.
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कौन हैं जस्टिस अरुण मिश्रा
मध्य प्रदेश के जबलपुर के रहने वाले जस्टिस अरुण कुमार मिश्रा ने विज्ञान में एमए की डिग्री लेने के बाद क़ानून की पढ़ाई इसलिए की, क्योंकि उनकी स्वाभाविक रुचि इसमें थी. उनके परिवार में वकालत पहले से होती आई है. उनके पिता हरगोविंद मिश्रा जबलपुर हाई कोर्ट के जज थे, जबकि उनके परिवार में कई रिश्तेदार नामी वकील हैं. उनकी बेटी भी दिल्ली हाई कोर्ट की वकील हैं. लगभग 21 सालों तक वकालत करते रहने के बावजूद उन्होंने क़ानून पढ़ाने का काम भी किया और मध्य प्रदेश में ग्वालियर के जीवाजी विश्वविद्यालय से जुड़े रहे.
करियर पर एक नजर
जस्टिस अरुण मिश्रा को सबसे पहले वर्ष 1999 में उन्हें मध्य प्रदेश हाई कोर्ट के अतिरिक्त जज के रूप में नियुक्त किया गया. फिर जब उनकी नियुक्ति परमानेंट हुई, तो वर्ष 2010 में उनका तबादला राजस्थान हाई कोर्ट में कर दिया गया. साल 2012 में उन्हें कोलकाता हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश बन गए थे. लेकिन सुप्रीम कोर्ट में उनकी नियुक्ति लंबित रही. साल 2014 में उन्हें सुप्रीम कोर्ट का जज बनाया गया.
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सुप्रीम कोर्ट की एक खंडपीठ ने जाने-माने वकील प्रशांत भूषण को न्यायालय की अवमानना मामले में दोषी ठहराते हुए उन पर एक रुपए का जुर्माना लगाया है. इस तीन सदस्यीय खंडपीठ की अध्यक्षता जस्टिस अरुण कुमार मिश्रा कर रहे थे, जबकि इसमें जस्टिस बीआर गवई और जस्टिस कृष्ण मुरारी भी शामिल थे. सुप्रीम कोर्ट से जस्टिस अरुण मिश्रा 2 सितंबर 2020 को रिटायर हुए थे.
HIGHLIGHTS
- केंद्र सरकार ने लगाई जस्टिस अरुण मिश्रा के नाम पर मुहर
- समिति में शामिल मल्लिकार्जुन खड़गे ने विरोध जताया