सरकार ने मंगलवार को न्यायमूर्ति दीपक मिश्रा को देश का अगला प्रधान न्यायाधीश नियुक्त किए जाने को मंजूरी दे दी। न्यायमूर्ति मिश्रा देश के 45वें प्रधान न्यायाधीश बनेंगे और 27 अगस्त को सेवानिवृत्त हो रहे प्रधान न्यायाधीश न्यायमूर्ति जे. एस. केहर की जगह लेंगे।
न्यायमूर्ति केहर ने प्रधान न्यायाधीश पद पर अपने उत्तराधिकारी के रूप में न्यायमूर्ति मिश्रा के नाम की सिफारिश की थी। न्यायमूर्ति मिश्रा 14 महीने तक प्रधान न्यायाधीश पद पर रहेंगे, क्योंकि दो अक्टूबर, 2018 को वह सेवानिवृत्त हो जाएंगे।
Justice Dipak Misra to be the next Chief Justice of India (CJI), Justice Jagdish Singh Khehar is retiring on August 27 this year
— ANI (@ANI) August 8, 2017
न्यायमूर्ति मिश्रा देश के प्रधान न्यायाधीश बनने वाले ओडिशा के तीसरे व्यक्ति होंगे। उनसे पहले ओडिशा से न्यायमूर्ति (सेवानिवृत्त) रंगनाथ मिश्रा और न्यायमूर्ति (सेवानिवृत्त) जी. बी. पटनायक प्रधान न्यायाधीश रह चुके हैं।
न्यायमूर्ति मिश्रा मुंबई श्रृंखलाबद्ध बम विस्फोटों के दोषी याकूब मेमन की मृत्युदंड पर रोक लगाने की याचिका खारिज करने वाली पीठ और निर्भया सामूहिक दुष्कर्म मामले में दोषियों की मौत की सजा बरकरार रखने वाली पीठ के अध्यक्ष रहे हैं।
तीन अक्टूबर, 1953 को जन्मे न्यायमूर्ति मिश्रा ने 14 फरवरी, 1977 को न्याय व्यवस्था में बतौर वकील प्रवेश किया और उन्होंने ओडिशा उच्च न्यायालय एवं सेवा न्यायाधिकरण में संवैधानिक, नागरिक, आपराधिक, राजस्व, सेवा एवं बिक्री कर मामलों के विशेषज्ञ वकील के तौर पर अपनी सेवाएं दीं।
उन्हें 17 जनवरी, 1996 को ओडिशा उच्च न्यायालय का अतिरिक्त न्यायाधीश नियुक्त किया गया, जहां से उनका तबादला तीन मार्च, 1997 को मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय में हो गया और उसी वर्ष 19 दिसंबर को वह स्थायी तौर पर न्यायाधीश नियुक्त कर दिए गए।
न्यायमूर्ति मिश्रा को 23 दिसंबर, 2009 को पटना उच्च न्यायालय का मुख्य न्यायाधीश नियुक्त किया गया और 24 मई, 2010 को वह दिल्ली उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश बने। वह 10 अक्टूबर, 2011 से सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीश हैं।