Advertisment

भारत के पहले लोकपाल बने जस्टिस पिनाकी घोष ने ली शपथ, जानें उनके बारे में

भारत के पहले लोकपाल बने जस्टिस पिनाकी चंद्र घोष ने शनिवार को यानी आज शपथ ली है. जस्टिस पिनाकी घोष को राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने शपथ दिलाई है.

author-image
nitu pandey
एडिट
New Update
भारत के पहले लोकपाल बने जस्टिस पिनाकी घोष ने ली शपथ, जानें उनके बारे में

राष्ट्रपति कोविंद ने जस्टिस घोष को दिलाई शपथ

Advertisment

भारत के पहले लोकपाल बने जस्टिस पिनाकी चंद्र घोष ने शनिवार को यानी आज शपथ ली है. जस्टिस पिनाकी घोष को राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने शपथ दिलाई है. इसके अलावा लोकपाल के अन्य 8 सदस्यों की भी नियुक्ति की गई है. राष्ट्रपति कोविंद ने जस्टिस दिलीप बी भोसले, जस्टिस पी के मोहंती, जस्टिस अभिलाषा कुमारी और जस्टिस एके त्रिपाठी को न्यायिक सदस्य और दिनेश कुमार जैन, अर्चना रामासुंदरम, महेंद्र सिंह और डॉ आईपी गौतम को गैर-न्यायिक सदस्य को शपथ दिलाई.

जस्टिस घोष (67) राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (एनएचआरसी) के 2017 से सदस्य हैं. वह सुप्रीम कोर्ट से 27 मई 2017 को सेवानिवृत्त हुए थे. उन्होंने सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश के तौर पर 8 मार्च 2013 को पदभार ग्रहण किया था. लोकपाल सर्च कमेटी द्वारा सूचीबद्ध किए गए शीर्ष 10 नामों वह शामिल थे.

इसे भी पढ़ें: अभिनंदन को छूना भी मत या फिर युद्ध के लिए तैयार रहना, भारत ने यह सख्‍त संदेश भेजा था पाकिस्‍तान को

सुप्रीम कोर्ट से पहले वह पूर्व में कलकत्ता हाई कोर्ट के जज रह चुके हैं और आंध्र प्रदेश हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस रहे हैं. पिनाकी चंद्र घोष का जन्म कोलकाता में हुआ. वह कलकत्ता हाई कोर्ट के पूर्व चीफ जस्टिस दिवंगत जस्टिस शंभू चंद्र घोष के बेटे हैं.

गौरतलब है कि देश के पहले लोकपाल की नियुक्ति लोकपाल अधिनियम-2013 के पारित होने के 5 साल बाद लोकसभा चुनाव से ठीक पहले किया गया है. सुप्रीम कोर्ट के लगातार दबाव के बाद केंद्र सरकार ने लोकपाल नियुक्ति पर मुहर लगाई.

7 मार्च को चीफ जस्टिस रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली बेंच ने मोदी सरकार को कहा था कि वह कोर्ट को 10 दिनों के भीतर बताए कि वह कब अंतिम नामों को तय करेगा. जिसके बाद सरकार ने लोकपाल और इसके सदस्यों के नामों को अंतिम रूप दी.

Source : News Nation Bureau

ram-nath-kovind oath lokpal justice pinaki ghose Justice Pinaki Chandra Ghose Justice Pinaki Ghose takes oath as the first Lokpal of India
Advertisment
Advertisment