सीजेआई दीपक मिश्र ने अपने उत्तराधिकारी के रूप में जस्टिस रंजन गोगोई के नाम का पत्र सरकार को भेज दिया है। उम्मीद है कि वह 3 अक्टूबर को अगले चीफ जस्टिस पद की शपथ ले सकते हैं। सीजेआई दीपक मिश्र ने इस संबंध में पत्र ला एंड जस्टिस मिनिस्ट्री को भेजा है, जिसमें उनके नाम की सिफारिश की है।
प्रेस कॉन्फ्रेंस करने वाले 4 जजों में शामिल थे
जस्टिस रंजन गोगोई उन चार जजों में शामिल थे, जिन्होंने जनवरी महीने में मुख्य न्यायाधीश जस्टिस दीपक मिश्रा की एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में यह कहते हुए आलोचना की थी कि वह मामलों के आवंटन में सुप्रीम कोर्ट के मास्टर ऑफ द रोस्टर होने के अपने अधिकार का दुरुपयोग कर रहे हैं। वतर्मान में वह असम के नेशनल रजिस्टर ऑफ सिटिजन (एनआरसी) मामले की सुनवाई कर रहे हैं।
कैसे होता है चीफ जस्टिस का चयन
नियमों के मुताबिक सुप्रीम कोर्ट के सबसे वरिष्ठ जज को ही चीफ जस्टिस बनाया जाता है और वरिष्ठता के हिसाब से चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा के बाद वह सुप्रीम कोर्ट में सबसे वरिष्ठ हैं। गौरतलब है कि 12 फरवरी 2011 को पंजाब-हरियाणा हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस बनाए गए थे और साल 2012 में सुप्रीम कोर्ट के जज बने।
इससे पहले जस्टिस रंजन गोगोई चीफ जस्टिस चुनने की प्रक्रिया और भारत की न्यायपालिका में बदलाव को लेकर दिए बयानों से चर्चा में रहे थे। उन्होंने कहा था कि भारत की न्यायपालिका में चीफ जस्टिस को बदलने की प्रक्रिया में ही समस्या है।
उन्होंने चीफ जस्टिस बदलने की प्रक्रिया में समस्या का सवाल उठाते हुए कहा था, 'जब न्यायपालिका में जजों का प्रमोशन होता है तो इसके कुछ मानदंड होते हैं। समस्या भारत के चीफ जस्टिस को बदलने की प्रक्रिया में है और इसमें स्पष्ट नीति बनाने की जरूरत है।'
जस्टिस रंजन गोगोई ने न्यायपालिका में बढ़ते मामलों की समस्या पर भी अपनी चिंता जाहिर की। उन्होंने इन मामलों को जल्द से जल्द खत्म करने की बात करते हुए कहा, 'हमारी न्यायपालिका बढ़ते मामलों से निपटने के लिए तैयार नहीं है। इन मामलों को खत्म करने की जरूरत है।'
Source : PTI