लोकसभा चुनाव 2019 की उल्टी गिनती शुरू हो गई है और इसके साथ ही पार्टियों की गतिविधियां भी तेज हो गई है. कांग्रेस जहां बीजेपी को मात देने के लिए महागठबंधन बनाने की जुगत में जुटा हुआ है वहीं, तेलंगाना के मुख्यमंत्री के चंद्रशेखर राव (केसीआर) एक अलग ही रणनीति बनाने में जुटे हुए हैं. इसी के तहत वो अगले सप्ताह तृणमूल कांग्रेस (TMC), बीजू जनता दल(BJD), समाजवादी पार्टी (SP) और बहुजन समाज पार्टी (BSP) के शीर्ष नेताओं से मुलाकात करेंगे.
सवाल है कि केसीआर का इन पार्टियों के शीर्ष नेताओं से मिलने के पीछे का मकसद क्या है. क्या वो बीजेपी और महागठबंधन के इतर तीसरा मोर्चा बनाने की जुगत में लगे हुए हैं. कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी की तमाम कवायद के बाद भी अभी तक महागठबंधन का स्वरूप नहीं तैयार हुआ है. हालांकि तीन राज्यों के मुख्यमंत्री शपथ ग्रहण समारोह में इसकी झलक दिखाई तो दी लेकिन यह महज झलक भर ही है. क्योंकि शपथ ग्रहण समारोह में ना तो ममता बनर्जी नजर आई और ना ही अखिलेश यादव.
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राजनीतिक समीकरणों की बात करे तो महागठबंधन का नेतृत्व कौन करेगा इसे लेकर यक्ष प्रश्न खड़ा है. तीन राज्यों में चुनावी नतीजे सामने आने के बाद ऐसा माना जा रहा है कि अगर महागठबंधन बनता है तो राहुल गांधी इसकी कमान संभालेंगे. लेकिन इस पर ना तो टीएमसी की अध्यक्ष और पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी सहमति दिखा रही हैं और ना ही बीएसपी और एसपी. इतना ही नहीं सीपीएम के महासचिव सीताराम येचुरी ने यहां तक कह दिया है कि महागठबंधन लोकसभा चुनाव के बाद बनेगा.
तो क्या केसीआर इस मौके का फायदा उठाते हुए बीजेपी और कांग्रेस के सामने एक तीसरी चुनौती खड़ा करना चाहते हैं और वो उसके लिए उन पार्टियों से मुलाकात करेंगे जो महागठबंधन को लेकर अभी तक स्पष्ट राय नहीं रखते हैं. अगर ऐसा होता है तो महागठबंधन बनाकर बीजेपी से मुकाबला करने का सपना टूट जाएगा.
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केसीआर के कार्यालय से जारी विज्ञप्ति के मुताबिक, विधानसभा चुनाव में तेलंगाना राष्ट्र समिति (टीआरएस) की जबरदस्त जीत हासिल करने के बाद केसीआर बीजेडी प्रमुख और ओडिशा के मुख्यमंत्री नवीन पटनायक से 23 दिसंबर को भुवनेश्वर में और तृणमूल कांग्रेस की सुप्रीमो और पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी से 24 दिसंबर को मिलेंगे. यानी तेलंगाना में अप्रत्याशित जीत के बाद केसीआर इस मौके को भुनाना चाहते हैं. लेकिन कहते हैं ना राजनीति में कुछ भी कहना पुख्ता नहीं होता है. कब कौन किस तरह बदल जाए वो कोई नहीं कह सकता है. फिलहाल लोकसभा चुनाव से राजनीति के कई रंग देखने के लिए तैयार रहिए.
Source : Nitu Kumari