इस साल होने वाली कैलाश मानसरोवर यात्रा दो पारंपरिक मार्गों सिक्किम के नाथू ला दर्रा और उत्तराखंड के लिपुलेख दर्रे से होगी।
विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने कहा, 'मैंने चीन के विदेश मंत्री से कहा था कि दोनों देश के रिश्ते तब तक समृद्ध नहीं हो सकते है जब तक लोग को बीच आपसी संपर्क को बहाल न किया जाए। जब पिछली यात्रा के दौरान नाथू ला दर्रा को बंद किया गया तो यह लोगों के लिए एक झटका था। मुझे इस बात की घोषणा करते हुए खुशी हो रही है कि अब यह यात्रा के लिए खोल दिया गया है।'
स्वराज ने बताया, 'इस साल 60 तीर्थयात्रियों के 18 जत्थे लिपुलेख दर्रा से और 50 तीर्थयात्रियों के 10 जत्थे नाथू ला दर्रा से भेजे जाएंगे। करीब 1580 तीर्थयात्री इस साल मानसरोवर की यात्रा पर जाएंगे।'
गौरतलब है कि शंघाई कोऑपरेशन ऑर्गेनाइजेशन (एससीओ) समिट के दौरान सुषमा स्वराज ने चीन के विदेश मंत्री वांग यी के साथ प्रतिनिधि स्तर की वार्ता की थी। इसके बाद दोनों देशों के विदेश मंत्रियों के संयुक्त संबोधन में कैलाश मानसरोवर यात्रा नाथू ला दर्रा से शुरू किये जाने की घोषणा की थी।
बता दें कि चीन की सरकार ने साल 2017 में नाथू ला मार्ग पर सुरक्षित और सुचारु यात्रा के लिए स्थिति अच्छी नहीं होने का हवाला दिया था जिसके बाद इस मार्ग से यात्रा बहाल नहीं किया जा सका।
इस साल यह यात्रा 8 जून से शुरू होकर 8 सितंबर तक चलेगी।
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Source : News Nation Bureau