1992 में अयोध्या (Ayodhya) में जो कुछ भी हुआ वह वह अप्रत्याशित और अभूतपूर्व था. 6 दिसंबर 1992 की घटना सदियों से दबी हुई करोड़ों हिंदुओं की भावनाओं के विस्फोट का नतीजा था. इसकी परिणित बाबरी ढांचा (Babari Masjid)जमींदोज हो गया. यह कहना है राजस्थान के पूर्व राज्यपाल कल्याण सिंह (Kalyan Singh) का. बता दें 1992 में जब बाबरी ढांचा (Babari Masjid)कारसेवकों द्वारा गिराया गया था, उस समय कल्याण सिंह (Kalyan Singh) ही उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री थे और इसके बाद उनकी सरकार बर्खास्त कर दी गई थी. उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री और राजस्थान के पूर्व राज्यपाल कल्याण सिंह फिर से बीजेपी में शामिल हो गए. सोमवार को राजधानी लखनऊ स्थित बीजेपी कार्यालय में प्रदेश अध्यक्ष स्वतंत्र देव सिंह ने कल्याण सिंह को सदस्यता दिलाई.
Former Governor of Rajasthan, Kalyan Singh: There was no conspiracy, what happened was unexpected & unprecedented. The incident of 6th December 1992, in which that structure collapsed was result of an explosion of feelings of crores of Hindus that were suppressed for centuries. pic.twitter.com/Ic6qbga1Bx
— ANI (@ANI) September 10, 2019
कल्याण सिंह बीजेपी के हिंदू चेहरा के रूप में बड़ी पहचान रखते हैं. राम मंदिर आंदोलन में कल्याण सिंह की भूमिका अहम रही है. यही कारण है कि जब वो उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री थे और 6 दिसम्बर 1992 को रामभक्तों ने विवादित स्थल को ध्वस्त करना शुरू किया तो उन्होंने पूरी घटना की जिम्मेदारी खुद पर ही ले ली थी. बाद में उन्हें सरकार से इस्तीफा देना पड़ा था. कल्याण सिंह की पहचान पिछड़ों के नेता के रूप में भी होती है. उनके नेतृत्व में हमेशा पिछड़ों को हक दिलाने की बात जोरदारी से कही जाती रही है.
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एक बार कल्याण सिंह बीजेपी हाईकमान से नाराज हुए थे. इस समय उन्होंने बीजेपी छोड़कर भारतीय क्रांति मोर्चा बनाया था और उसके बाद राष्ट्रीय क्रांति पार्टी का गठन किया था. एक बार फिर बीजेपी की सदस्यता लेने के बाद कल्याण सिंह राजनीति में पूरी तौर से सक्रिय होंगे. पार्टी कार्यकर्ता मानते हैं कि कल्याण की वापसी से पार्टी और मजबूत होगी. कल्याण सिंह के आते ही उत्तर प्रदेश में 13 सीटों में उपचुनाव होने हैं, ऐसे में उपचुनाव में भी बीजेपी के लिए फायदे मंद साबित हो सकते हैं. हालांकि उपचुनाव में कल्याण सिंह का कितना कमाल होगा, यह देखना होगा.
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बता दें केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) ने लखनऊ की विशेष सीबीआई अदालत में पूर्व मुख्यमंत्री एवं पूर्व राज्यपाल कल्याण सिंह को बाबरी ढांचा ढहाये जाने के मामले में मुकदमे का सामना करने के मकसद से तलब करने के अनुरोध वाली अर्जी सोमवार को दी.
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अदालत अयोध्या में छह दिसंबर 1992 को बाबरी मस्जिद ढांचा ढहाने की साजिश के लिए पूर्व उप प्रधानमंत्री लाल कृष्ण आडवाणी, भाजपा के वरिष्ठ मुरली मनोहर जोशी, उमा भारती एवं अन्य आरोपियों के मुकदमे की सुनवाई कर रही है.
अदालत ने सीबीआई से जानकारी ली कि कल्याण सिंह क्या अब राज्यपाल के संवैधानिक पद पर हैं. अदालत ने कहा कि मामले की कार्यवाही चूंकि दिन प्रतिदिन आधार पर चल रही है इसलिए सीबीआई की अर्जी पर 11 सिंतबर 2019 को सुनवाई हो सकती है.
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अर्जी पेश करते हुए सीबीआई ने कहा कि कल्याण सिंह के खिलाफ 1993 में आरोप पत्र दाखिल किया गया था. अभी तक कल्याण सिंह आरोपी के रूप में मुकदमे की कार्यवाही में नहीं लाये जा सके क्योंकि उन्हें राज्यपाल होने के नाते संविधान के तहत विशेष अधिकार प्राप्त है.उच्चतम न्यायालय ने हालांकि सीबीआई को इस बात की अनुमति दी थी कि जब कल्याण सिंह राज्यपाल नहीं रहेंगे तो उन्हें आरोपी के रूप में पेश किया जा सकता है.
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सिंह हाल में राजस्थान के राज्यपाल के पद से हटे हैं. सीबीआई ने अपनी अर्जी में कहा कि सिंह तीन सितंबर 2014 को राज्यपाल पद पर नियुक्त हुए थे और उनके पांच साल का कार्यकाल पूरा हो गया है.
Source : न्यूज स्टेट ब्यूरो