कांग्रेस (Congress) पार्टी की अंदरूनी कलह थमने का नाम नहीं ले रही है. कांग्रेस कार्यसमिति (CWC) से पहले फोड़े गए 'लेटर बम' की गूंज न सिर्फ बैठक में छाई रही, बल्कि नए-पुराने क्षत्रपों के बीच तलवारें औऱ निकल आईं. गुलाम नबी आजाद (Ghulam Nabi Azad) ने तीखे आरोपों के सिद्ध होने पर इस्तीफे की बात कही, तो कपिल सिब्बल (Kapil Sibbal) भी 'अपना योगदान' गिनाने से नहीं चूके. हालांकि ऐसा लग रहा है कि कपिल सिब्बल के तेवर अभी भी ढीले नहीं पड़े हैं. वह लगातार अपनी नाराजगी मीडिया के समक्ष उजागर करते आ रहे हैं. अब उन्होंने यह कहकर नए विवाद को जन्म दे दिया है कि सीडब्ल्यूसी की बैठक में असंतुष्ट नेताओं के मसले पर कोई चर्चा नहीं हुई. यहां तक कि जब उन पर हमले हो रहे थे, तो एक भी वरिष्ठ नेता उनके बचाव के लिए नहीं आया.
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23 नेताओं के 'लेटर बम' से उठा विवाद
गौरतलब है कि पिछले दिनों पार्टी में सोनिया गांधी को पत्र लिखकर संगठन में आमूल-चूल बदलाव की मांग करने वाले 23 असंतुष्ट नेताओं में सिब्बल का भी नाम था. कांग्रेस वर्किंग कमेटी (CWC) की बैठक के बाद कुछ नेता तो शांत हो गए, लेकिन कपिल सिब्बल लगातार पार्टी के खिलाफ अपनी नाराजगी जाहिर करते रहे. अब उन्होंने अंग्रेजी अखबार इंडियन एक्सप्रेस से बातचीत में आरोप लगाया है कि CWC की मीटिंग में असंतुष्ट नेताओं की किसी समस्या पर कोई चर्चा नहीं की गई. इसके अलावा उन्होंने ये भी कहा कि बैठक में उन पर हमले किए जा रहे थे, तब भी कोई नेता उनके समर्थन में नहीं आए.
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कांग्रेस ही नहीं मान रही पार्टी संविधान
कपिल सिब्बल ने कहा कि पार्टी को इस वक्त संवैधानिक तौर पर चुने हुए अध्यक्ष की जरूरत है. उन्होंने कहा, 'कांग्रेस हमेशा बीजेपी पर संविधान का पालन नहीं करने और लोकतंत्र की नींव को नष्ट करने का आरोप लगाती है, जबकि हमारे यहां ही ऐसा नहीं हो रहा. हम अपने पार्टी के संविधान का पालन करना चाहते हैं. कौन उस पर आपत्ति कर सकता है. मैं किसी पार्टी विशेष की बात नहीं करता, लेकिन इस देश में राजनीति अब मुख्य रूप से वफादारी पर आधारित है. हमें वो चीज़ चाहिए जो 'वफादारी प्लस' कहलाती है. ये प्लस योग्यता और किसी चीज़ के लिए प्रतिबद्धता है.'
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सक्रिय अध्यक्ष की भूमिका पर जोर
सिब्बल ने कहा कि चिट्ठी में एक फुलटाइम और प्रभावी नेतृत्व की मांग की गई थी. एक ऐसा नेता जो चुनाव के दौरान दिखे भी और मैदान में सक्रिय भी रहे. उन्होंने कहा कि ये सारी बातें बैठक में वफादारी का सबूत बनकर रह गई. सिब्बल ने कहा, 'सीडब्ल्यूसी को बताया जाना चाहिए था कि इस चिट्ठी में क्या है. ये मूलभूत बात है जो होनी चाहिए थी. अगर उसमें आप गलती करते हैं, तो निश्चित रूप से, हमसे पूछताछ की जा सकती है और हमसे पूछताछ की जानी चाहिए.'
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'धोखेबाज' कहने पर जताई फिर नाराजगी
सिब्बल ने ये भी कहा कि सीडब्ल्यूसी की चिट्ठी पर कोई चर्चा नहीं की गई. इसके विपरीत बैठक में उन सबको धोखेबाज कहा गया. उन्होंने कहा, हमारी चिट्ठी बहुत ही सभ्य भाषा में लिखी गई थी, लेकिन बैठक में मौजूद किसी ने भी वहां हमें धोखेबाज़ कहने पर कुछ नहीं कहा. क्या पार्टी की ये भाषा होती है'. सिब्बल से जब ये पूछा गया कि आखिर क्यों कांग्रेस के लोग इन 23 नेताओं के समर्थन में नहीं आए तो सिब्बल ने कहा, 'राजनीति में लोग सार्वजनिक रूप से कुछ कहते हैं और निजी तौर पर सोचते कुछ और हैं.'