समाजवादी पार्टी में राज्यसभा चुनाव के लिए उम्मीदवारों के नाम पर मंथन का दौर जारी है. मौजूदा संख्या बल के हिसाब से समाजवादी पार्टी तीन सदस्यों को राज्यसभा भेज सकती है. ऐसे में पार्टी कारोबारी, पूर्व नौकरशाह और पार्टी के पुराने वफादारों के साथ दूसरे राज्यों के कुछ चेहरों पर भी मंथन कर रही है. सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक जो तीन नाम सबसे आगे चल रहे हैं, उनमें सलीम शेरवानी, आलोक रंजन और कपिल सिब्बल का नाम सबसे आगे बताया जा रहा है. आलोक रंजन उत्तर प्रदेश के पूर्व चीफ सेक्रेटरी रहे हैं और अखिलेश यादव के काफी करीबी माने जाते हैं. कपिल सिब्बल कांग्रेस के बड़े नेता हैं और आज़म खान की पैरवी सुप्रीम कोर्ट में की थी.
2016 में सपा के समर्थन से गए थे राज्यसभा
कपिल सिब्बल का राज्यसभा सदस्य के रूप में कार्यकाल समाप्त हो गया है. ऐसी चर्चा है कि झामुमो या समाजवादी पार्टी के समर्थन से झारखंड या यूपी से संसद के ऊपरी सदन के लिए फिर से चुने जा सकते हैं. 2016 में वह तत्कालीन सत्तारूढ़ समाजवादी पार्टी द्वारा समर्थित कांग्रेस उम्मीदवार के रूप में यूपी से राज्यसभा के लिए चुने गए थे, लेकिन अब राज्य विधानसभा में कांग्रेस के पास केवल 2 विधायक हैं, इसलिए वह किसी को भी चुनने की स्थिति में नहीं है. झारखंड में कांग्रेस समर्थित उम्मीदवार की स्थिति बेहतर है क्योंकि पार्टी सत्तारूढ़ गठबंधन में है और एक सीट जीत सकती है. कांग्रेस ने पिछली बार यह सीट झामुमो को दी थी और इस बार वह अपने लिए सीट का दावा कर रही है.
बीजेपी-कांग्रेस के लिए यह रहेगी गणित
यूपी में 11 सीटों के लिए चुनाव होने हैं, यहां से भाजपा सात और समाजवादी पार्टी तीन जीत सकती है और बाद वाले के पास अभी भी 20 अधिशेष वोट होंगे. हालांकि 11वीं सीट के लिए एक समस्या खड़ी हो जाएगी, अगर बीजेपी अपना आठवां उम्मीदवार उतारती है, जिसके लिए चुनाव की आवश्यकता होगी और यहीं पर अधिशेष वोट महत्वपूर्ण होंगे. हालांकि सत्तारूढ़ भाजपा को एक फायदा है क्योंकि उसे 10 से कम वोट चाहिए लेकिन विपक्ष 15 वोटों से कम है. कांग्रेस राजस्थान, कर्नाटक, हरियाणा, महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ से आठ राज्यसभा सदस्यों का चुनाव कर सकती है और दो और तमिलनाडु और झारखंड में सहयोगियों के समर्थन से आ सकते हैं.
HIGHLIGHTS
- उत्तर प्रदेश में राज्यसभा की 11 सीटों के लिए होने हैं चुनाव
- बीजेपी-सपा के लिए यूपी में एक-एक उम्मीदवार पर फंसेगा पेंच
- हालांकि यहां सपा की तुलना में बीजेपी को हो सकता है फायदा