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महज 22 साल की उम्र में पाकिस्तान की बखिया उधेड़ शहीद हो गए कैप्टन विजयंत थापर, पढ़ें उनकी आखिरी चिट्ठी

22 साल की उम्र में देश के लिए जान गंवाने वाले विजयंत के दादाजी जेएस थापर और पिता कर्नल वीएन थापर भी सेना में रहकर देश की सेवा कर चुके हैं.

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Sunil Chaurasia
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महज 22 साल की उम्र में पाकिस्तान की बखिया उधेड़ शहीद हो गए कैप्टन विजयंत थापर, पढ़ें उनकी आखिरी चिट्ठी

शहीद कैप्टन विजयंत थापर की आखिरी चिट्ठी

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आज का दिन दुनियाभर में रह रहे 130 करोड़ भारतीयों के लिए बेहद ही गर्व का दिन है. आज ही के दिन ठीक 20 साल पहले हमने पड़ोसी मुल्क पाकिस्तान को चौथी बार धूल चटाकर ये साबित कर दिया था कि हमसे टकराने वालों का यही हश्र होगा. 20 साल पहले पाकिस्तान पर मिली इस शानदार जीत को हम हर साल सेलिब्रेट करते हैं. पाकिस्तान पर मिली इस जीत में हमने अपने 500 से भी ज्यादा जवानों को खो दिया था. आज हम आपको भारतीय सेना में कैप्टन विजयंत थापर के बारे में एक दिलचस्प बात बताने जा रहे हैं, जिन्होंने देश की रक्षा करते हुए अपने प्राण त्याग दिए थे. आज हम आपको कैप्टन विजयंत थापर की उस चिट्ठी के बारे में बताने जा रहे हैं, जिसे उन्होंने शहीद होने से पहले लिखा था.

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महज 22 साल की उम्र में देश के लिए जान गंवाने वाले विजयंत के दादाजी जेएस थापर और पिता कर्नल वीएन थापर भी सेना में रहकर देश की सेवा कर चुके हैं. विजयंत थापर की ये चिट्ठी www.captainvijyantthapar.com पर मौजूद है. शहादत को प्राप्त होने से पहले विजयंत ने ये चिट्ठी अपने परिवार के लिए लिखी थी. चिट्ठी में विजयंत ने लिखा, ''जब तक आपको ये चिट्ठी मिलेगी, तब तक मैं आसमान में अप्सराओं की खातिरदारी के बीच आपको ऊपर से देख रहा होउंगा. मुझे कोई पछतावा नहीं है, यहां तक की अगर मैं अगले जन्म में भी इंसान बना तो देश की सेवा करने के लिए फिर से सेना में ही नौकरी करुंगा.''

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विजयंत ने अपनी चिट्ठी में आगे लिखा, ''यदि हो सके तो आप यहां जरूर आना और इस जगह को देखना जहां भारतीय सेना ने आप सभी के सुरक्षित भविष्य के लिए दुश्मनों से लोहा लिया. मुझे उम्मीद है कि मेरे शहीद होने के बाद मेरी तस्वीर को मंदिर में करणी माता के साथ रखा जाएगा. अनाथालय की मदद के लिए कुछ पैसों का सहयोग करना और रुकसाना को हर महीने 50 रुपये देते रहना. योगी बाबा से भी मिल लेना. पापा आपको मेरी शहादत पर जरूर गर्व होगा.'' बता दें कि विजयंत को घर में रॉबिन के नाम से बुलाया जाता था. इस खबर के साथ ही हम आपको विजयंत की चिट्ठी को पढ़ने के लिए लिंक भी शेयर कर रहे हैं.

Source : Sunil Chaurasia

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