कर्नाटक विधानसभा चुनाव 2018 को अगले साल होने वाले लोकसभा चुनाव से पहले का सेमीफाइनल माना जा रहा है। हालांकि इस साल के अंत में तीन और राज्य मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ और राजस्थान में चुनाव होना है।
कर्नाटक चुनाव को महत्वपूर्ण इसलिए भी माना जा रहा है क्योंकि अगर कांग्रेस यहां भी सत्ता बचाने में असफल रही तो भारत की सबसे पुरानी राजनीतिक पार्टी सिर्फ बेहद छोटे राज्यों तक सीमित रह जाएगी।
वहीं बीजेपी के लिए कर्नाटक इसलिए महत्वपूर्ण है क्योंकि 2014 में जबसे केंद्र में उनकी सरकार आई है तबसे ही वह 'कांग्रेस मुक्त भारत' की बात कर रही हैं। ऐसे में बीजेपी कांग्रेस को कर्नाटक में हरा कर 2019 के लिए मनोवैज्ञानिक बढ़त लेना चाहेगी।
राज्य के चुनावी इतिहास में जो बातें सबसे अहम है वह यह है कि 1985 से अब तक कोई भी पार्टी 5 साल बाद सत्ता में दोबारा नहीं लौटी। 1985 में रामकृष्ण हेगड़े की अगुवाई में जनता दल सेक्युलर फिर सत्ता पर काबिज हुआ था।
1985 में जनता दल ने सरकार बनाई थी। इसके बाद 1989 विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने 178 सीटें जीतकर सरकार बनाई और फिर हर 5 साल पर राज्य के सरकारों का आना-जाना लगा रहा।
जो कांग्रेस 1989 में 178 सीटें जीती थी वही 1994 में 34 सीटों पर सिमट गई। 1994 में जनता दल एक बार फिर राज्य में सबसे बड़ी पार्टी के रूप में उभरी। इस विधानसभा चुनाव में जेडीएस ने 115 सीटें जीती थी।
इसके बाद अलगा विधानसभा चुनाव साल 1999 में हुआ। इस चुनाव में कांग्रेस को 132 सीटें मिली थी और उसने फिर बहुमत के साथ सत्ता में वापसी की लेकिन उसके बाद 2004 विधानसभा चुनाव में फिर कांग्रेस 65 सीटों पर सिमट गई।
2004 में किसी भी पार्टी को राज्य में बहुमत नहीं मिली। बीजेपी 79 सीटों के साथ सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी लेकिन कांग्रेस जिसने 65 सीट जीते थे उसने जनता दल सेक्युलर जिसने 58 सीटें जीती थी उसके साथ गठबंधन में सरकार बनाई और धर्मसिंह को मुख्यमंत्री बनाया गया। यह पहला मौका था जब राज्य में गठबंधन सरकार बनी।
2008 में राज्य में बीजेपी ने 110 सीटें जीती थी। बीजेपी बहुमत के आंकड़े से 3 सीटे पीछे रही लेकिन उसको छह निर्दलीय उम्मीदवारों का समर्थन मिला और उसने राज्य में सरकार बनाई।
अब आखिरी विधानसभा चुनाव 2013 की बात करें तो कांग्रेस ने 122 सीटों के साथ बहुमत की सरकार बनाई थी। राज्य में सिद्धारमैया को मुख्यमंत्री की कमान मिली।
इस लिहाज से अगर आप देखें तो राज्य में 1985 से अब तक हर 5 साल में सत्ता परिवर्तन होता रहा है लेकिन कर्नाटक से जुड़ा एक और दिलचस्प पहलू है। आज तक हमेशा केंद्र में जिस पार्टी की सरकार रही है उसे कभी भी राज्य की जनता ने नहीं चुना है।
सिर्फ साल 2013 में केंद्र में कांग्रेस थी और राज्य में भी जीती पर इसके बाद साल 2014 के लोकसभा में वह केंद्र की सत्ता से बेदखल हो गई।
Source : News Nation Bureau