कर्नाटक में विधानसभा चुनाव के नतीजे करीब-करीब आ चुके हैं। बीजेपी राज्य में सबसे बड़ी पार्टी बनकर जरूर उभरी है लेकिन उसके पास भी सरकार बनाने लायक आंकड़े नहीं हैं। वहीं दूसरी तरफ कांग्रेस जनता दल सेक्युलर को अपना समर्थन देकर राज्य में बीजेपी को सत्ता में आने से रोकना चाहती है।
ऐसे में कांग्रेस ने जेडीएस को अपना समर्थन दे दिया जिसके बाद कुमार स्वामी ने सरकार बनाने का दावा पेश करने के लिए राज्यपाल वजुभाई वाला से मिलने का समय मांगा था।
लेकिन इससे ठीक पहले राज्य में सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी बीजेपी के नेता येदियुरप्पा ने राज्यपाल से मिलकर सरकार बनाने का दावा पेश कर दिया। राज्यपाल ने उन्हें इसके लिए समय भी दे दिया है।
अब ऐसे में पेच फंस रहा है कि आखिकार जब किसी भी पार्टी को वहां स्पष्ट बहुमत नहीं मिला तो सरकार किसकी बनेगी और बहुमत पेश करने का पहला मौका किसे मिलना चाहिए।
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इस सवाल को लेकर संवैधानिक मामलों के विशेषज्ञ सुभाष कश्यप ने कहा, 'यह बिल्कुल साफ है कि गर्वनर अपने विचार से किसी को भी सरकार बनाने की आज्ञा दे सकते हैं। लेकिन राज्यपाल अपने विवेक से यह फैसला लेते हैं कि किस दल के पास बहुमत है और वो स्थायी सरकार बना सकता है। इसलिए ऐसे में वो उसी को सरकार बनाने का मौका देते हैं जिसको लेकर यह उम्मीद और राय बनती है कि बहुमत उसके साथ है। ऐसा ही एक उदाहरण है जब राष्ट्रपति ने अटल बिहारी वाजपेयी को लोकसभा में बहुमत साबित करने से पहले ही प्रधानमंत्री नियुक्त कर दिया था लेकिन लोकसभा में वो 1 वोट से बहुमत साबित नहीं कर पाए थे। राष्ट्रपति ने अपने विवेक से फैसला लिया था। इसलिए राष्ट्रपति के पास अधिकार होता है कि वो सबसे बड़ी पार्टी या फिर किसी गठबंधन को सरकार बनाने का न्योता दे सकते हैं।'
यहां देखें क्या कहते हैं संविधान के जानकार सुभाष कश्यप
उन्होंने यह भी कहा कि संवैधानिक रूप से राज्यपाल को किसी भी दल को पहले सरकार बनाने के लिए आमंत्रण देने का अधिकार प्राप्त है।
चुनाव आयोग के अभी तक के रुझानों के मुताबिक कर्नाटक के 222 विधानसभा सीटों पर हुए चुनाव में बीजेपी को 104, कांग्रेस को 78 और जेडीएस को 37 सीटें मिलती दिख रही है।
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Source : News Nation Bureau