भले ही बीजेपी विधायक दल के नेता बीएस येदियुरप्पा ने शुक्रवार को चौथी बार राज्य के मुख्यमंत्री पद की कमान संभाल ली हो, लेकिन शाम 6 बजे सीएम पद की शपथ लेते ही वह 6 के फेर में फंस गए हैं. उन्हें 31 जुलाई तक बहुमत साबित करना है और इसके लिए उन्हें 6 विधायकों की दरकार है. अगर स्पीकर ने सभी बागियों के इस्तीफे स्वीकार कर लिए तभी येदियुरप्पा 6 के फेर से बच सकेंगे. अन्यथा यह फेर उन्हें फिर से मुसीबत में डाल सकता है. हालांकि भाग्य को अपने साथ रखने के लिए येदियुरप्पा ने टोटके स्वरूप अपने नाम की स्पेलिंग बदली है.
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बीजेपी के पास 106 विधायक
गौरतलब है कि स्पीकर रमेश कुमार ने दल-बदल विरोधी कानून के तहत गुरुवार को 3 बागी विधायकों को अयोग्य घोषित कर दिया. हालांकि 14 बागी विधायकों के त्यागपत्र पर स्पीकर ने अभी कोई निर्णय नहीं किया है. ऐसी स्थिति में कर्नाटक विधानसभा की सदस्य क्षमता 222 ही बनी हुई है. इसके तहत बहुमत के लिए येदियुरप्पा को 112 विधायकों का संख्याबल दिखाना होगा, जबकि बीजेपी के पास फिलहाल 106 विधायक ही है.
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बागी विधायकों के इस्तीफे मंजूर होने पर ही बनेगी बात
इस लिहाज से देखें तो शाम 6 बजे सीएम पद की शपथ लेते ही बीएस येदियुरप्पा इन 6 अतिरिक्त विधायकों के फेर में फंस गए हैं. उन्हें इसके लिए परोक्ष स्तर पर स्पीकर की मदद की ही दरकार रहेगी. यानी पल-पल बदलते घटनाक्रम के तहत यदि स्पीकर बागी विधायकों के इस्तीफे स्वीकार कर लेते हैं, तो सदन में विधायकों की संख्या घटकर 208 रह जाएगी. ऐसा होने पर येदियुरप्पा को बहुमत साबित करने के लिए महज 105 विधायकों की दरकार होगी. यह संख्याबल उनके पास पहले से मौजूद है.
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पिछली बार दो दिन रहे सीएम
गौरतलब है कि कर्नाटक विधानसभा चुनाव के प्राप्त परिणामों के आधार पर पिछले साल मई में 104 विधायकों के साथ सबसे बड़े दल के रूप में बीजेपी के बीएस येदियुरप्पा ने सीएम पद की शपथ ली थी, लेकिन बहुमत सिद्ध न कर पाने पर उन्हें दो दिन बाद ही इस्तीफा देना पड़ा. इसके बाद 78 सीटों वाली कांग्रेस और 37 सीटें जीतने वाली जेडीएस ने गठबंधन कर राज्य में सरकार का गठन किया था. इस साझेदारी के तहत जेडीएस विधायक दल के नेता एचडी कुमारस्वामी मुख्यमंत्री बने थे. यह अलग बात है कि कर्नाटक का नाटक भी तभी से शुरू हुआ था.
HIGHLIGHTS
- अगर बागी विधायकों का इस्तीफे पर निर्णय नहीं हुआ तो योदियुरप्पा को चाहिए होंगे 6 विधायक.
- बागी विधायकों के इस्तीफे स्वीकारने की स्थिति में ही राह बनेगी आसान.
- हालांकि बीजेपी ने फिलहाल सारे पत्ते नहीं हैं खोले.