कर्नाटक के वरिष्ठ कांग्रेस नेता एस शिवशंकरप्पा ने रविवार को कहा कि वीरशैव और लिंगायत एक ही सिक्के के दो पहलू हैं और उन्होंने अपनी पार्टी के नेता एवं पूर्व मुख्यमंत्री सिद्धरमैया पर प्रहार किया एवं उन पर अतीत में इस समुदाय को बांटने का प्रयास करने का आरोप लगाया. वह सिद्धरमैया द्वारा शनिवार को दिये गये इस बयान पर प्रतिक्रिया दे रहे थे कि ‘बसव धर्म’ एक स्वतंत्र धर्म है जो न तो हिंदुत्व के अंदर और न उसके बाहर है.
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ऑल इंडिया वीरशैव महासभा के अध्यक्ष शिवशंकरप्पा ने कहा, हम उन मुद्दों पर चर्चा न करें, हम शुरू से कहते आ रहे हैं कि वीरशैव और लिंगायत एक ही है और एक ही सिक्के के दो पहलू हैं, हम उसी का पालन कर रहे हैं. उन्होंने कहा, हम उसे तोड़ने का प्रयास न करें, हम सभी एकजुट हैं.
सिद्धरमैया के एक बयान के बारे में पूछे गये सवाल का जवाब देते हुए उन्होंने कहा, क्या सिद्धरमैया लिंगायत हैं? उन्होंने अपनी राय दी है, मैं क्या कर सकता हूं? उन्होंने उसे बांटने का प्रयास किया लेकिन जब नहीं बांट सके तो वह एक तरफ हो गये. वीरशैव-लिंगायत समुदाय की श्रद्धा बसवराज द्वारा 12 वीं सदी में शुरू किये गये समाज सुधार आंदोलन के प्रति है और कर्नाटक में उसकी अच्छी खासी संख्या है. यह समुदाय भाजपा के साथ हो गया है.
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यह समुदाय 2018 के विधानसभा चुनाव से पहले दो हिस्सों में बंट गया। सिद्धरमैया की तत्कालीन कांग्रेस सरकार ने लिंगायत धर्मावलंबियों को ‘धार्मिक अल्पसंख्यक’ का दर्जा देने के लिए कदम उठाया था.