कर्नाटक के राज्यपाल वजुभाई वाला ने बीजेपी को राज्य में सरकार बनाने का न्यौता दिया है। साथ ही अगले 15 दिनों में उन्हें विधानसभा में बहुमत साबित करने को कहा है।
राज्यपाल के इस फ़ैसले के बाद कांग्रेस-जेडीएस खेमे में जबरदस्त नाराज़गी है।
पूर्व वित्त मंत्री पी चिदंबरम ने कांग्रेस की तरफ से प्रेस कॉफ्रेंस को संबोधित करते हुए कहा, 'गवर्नर एक संवैधानिक पद पर बैठे हैं, उनकी आस्था संविधान से होनी चाहिए न कि पार्टी से। सुप्रीम कोर्ट का फैसला भी उन्हे यही करने की बात करता है। मुझे नहीं समझ आ रहा कि गवर्नर को क्या मुश्किल आ रही है कुमारस्वामी को सरकार बनाने का न्यौता देने में।'
वहीं राज्यपाल के अधिकारिक बयान सामने आने से पहले कांग्रेस के वरिष्ठ नेता कांग्रेस कपिल सिब्बल ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट के फैसले के अनुसार कांग्रेस-जेडीएस गठबंधन के पास बहुमत से ज्यादा सीट हैं, ऐसे में कुमारस्वामी को सरकार बनाने का न्यौता देना गवर्नर का संवैधानिक निर्णय होगा।
कांग्रेस के वार पर पलटवार करते हुए केंद्रीय मंत्री रविशंकर प्रसाद ने कहा, 'जिस कांग्रेस पार्टी का पूरा रिकॉर्ड संविधान की धज्जियां उड़ाने का रहा है वो आज देश के संविधान की मर्यादा बता रही है। जिस पार्टी ने सबसे ज्यादा बार राष्ट्रपति शासन लागू किया वो हमें सीख दे रही है।'
रविशंकर प्रसाद ने कहा, 'सुप्रीम कोर्ट ने एस आर बोम्मई केस में कहा था कि नए चुनाव नतीजे के बाद की परिस्थिति में राज्यपाल किसे बुलाएंगे हम उस पर (सुप्रीम कोर्ट) कोई विचार नहीं देते हैं।'
केंद्रीय मंत्री ने आगे कहा, 'सरकारिया कमीशन ने कहा था कि किसी को स्पष्ट बहुमत न मिलने पर सबसे पहले चुनावह पूर्व गठबंधन, नंबर दो पर सबसे बड़ी पार्टी और तीसरे नंबर पर चुनाव बाद गठबंधन को मौका दिया जाएगा'
वहीं येदियुरप्पा का बचाव करते हुए प्रसाद ने कहा, 'कांग्रेस कर्नाटक की हार नहीं पचा पा रही है, येदियुरप्पा को बुलाना सुप्रीम कोर्ट के फैसले और संविधान के मुताबिक है। लोगों की सद्भावना, लोगों के मतों का आशीर्वाद बीजेपी के पक्ष में है। कांग्रेस पार्टी मैंडेट को लूटने का प्रयास कर रही है। कर्नाटक में हम एक बहुमत की सरकार चलाएंगे और जनता के आशीर्वाद से चलाएंगे।'
जिसके तुरंत बाद कांग्रेस ने बीजेपी पर पलटवार करते हुए कहा, 'हम अमित शाह से पूछना चाहते हैं कि अगर चुनाव के बाद दो पार्टियां गठबंधन कर साथ नहीं आ सकती तो आपने गोवा और मणिपुर में सबसे बड़ी पार्टी को अलग कर सरकार कैसे बनाई? राज्यपाल ने अपने पद को शर्मिंदा किया है।'
सुरजेवाला ने कहा, राज्यपाल संविधान के बदले बीजेपी मुख्यालय के आधार पर फैसले ले रहे हैं। बहुमत के बिना येदियुरप्पा को शपथ के लिए बुलाया गया, राज्यपाल बीजेपी के कठपुतली की तरह काम कर रहे हैं। आज का दिन संविधान और लोकतंत्र के लिए काला दिन है, राज्यपाल को संवैधानिक पद पर बैठने का कोई अधिकार नहीं है।'
देर रात 1.45 बजे आरोप-प्रत्यारोप के बीच सुप्रीम कोर्ट में तीन जजों की बेंच जस्टिस एके सीकरी, एसए बोबड़े और जस्टिस अशोक भूषण कांग्रेस और जेडीएस की याचिका पर सुनवाई के लिए तैयार हुए। कोर्ट के गेट के ताले खोले गए और कोर्ट नंबर 6 में सुनवाई शुरू हुई।
बीजेपी का पक्ष रख रहे मुकुल रोहतगी ने कहा कि राज्यपाल के पास सबसे बड़ी पार्टी को बुलाने का अधिकार है और वह ऐसा करते रहे हैं। अगर सबसे बड़ी पार्टी सरकार बनाने में विफल रहती हैं तो दूसरी पार्टी को बुलाया जाएगा। इस मामले में राज्यपाल को पार्टी नहीं बनाया जा सकता और राज्यपाल के आदेश पर रोक नहीं लगाई जा सकती।
अटॉर्नी जनरल बोले, 'कृपया इस याचिका को खारिज करे दें। वे एक उच्च स्तरीय संवैधानिक सिस्टम के कार्य को रोकने के लिए यह फैसला चाहते हैं। यह राज्यपाल का काम है कि वह शपथ के लिए बुलाएं। राज्यपाल और राष्ट्रपति किसी भी कोर्ट के प्रति उत्तरदायी नहीं हैं। ऐसे में कोर्ट को चाहिए कि वह संवैधानिक कार्यप्रणाली को ना रोके।'
वहीं एएसजी तुषार मेहता जो केंद्र सरकार का पक्ष रख रहे थे उन्होंने कहा, 'जहां तक गोवा चुनाव की बात है तो सबसे बड़ी पार्टी कांग्रेस अपना पक्ष नहीं रख सकी। वह मामला कर्नाटक से अलग है।'
इसपर कांग्रेस की तरफ से प्रतिक्रिया देते हुए अभिषेक मनु सिंघवी ने कहा कि हमारे पास 117 विधायक हैं जबकि बीजेपी के पास 104। जिस दिन चुनाव नतीजे आए, उसी दिन कांग्रेस प्रमुख ने जेडीएस को समर्थन दिए जाने का ऐलान किया।
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सिंघवी ने कहा कि कांग्रेस ने राज्ययपाल को विधायकों के हस्ताक्षर वाले दस्तावेज बतौर सबूत समर्थन के तौर पर दिए थे। इससे पहले के भी रिकॉर्ड्स देखें तो चुनाव बाद गठबंधन हुए हैं और उन्हें सबसे बड़ी पार्टी को छोड़कर पहले सरकार बनाने के लिए बुलाया गया है।
सिंघवी ने सवाल करते हुए पूछा, 'जब हमारे पास 117 विधायक हैं तो बीजेपी कैसे बहुमत साबित करेगी। बिना बहुमत वाली पार्टी को 15 दिनों का समय दिया गया है, यह सीधे तौर पर विधायकों को खरीदने का खुला लाइसेंस है।'
जस्टिस सीकरी ने अटॉर्नी जनरल केके वेणुगोपाल से पूछा, 'जब एक पक्ष 117 विधायकों का समर्थन दिखा रहा है तो 112 विधायकों का समर्थन दूसरे पक्ष को कैसे मिल जाएगा?
मुकुल रोहतगी बोले, 'मामले पर रात में सुनवाई नहीं होनी चाहिए। अगर शपथ ग्रहण हो जाता है तो आसमान नहीं गिर जाएगा। पिछली बार सुप्रीम कोर्ट में रात में सुनवाई याकूब मेमन की फांसी के लिए हुई थी।'
सुप्रीम कोर्ट की बेंच ने कहा, 'यह कहना निरर्थक है कि बिना शपथ लिए विधायक ऐंटी डिफेक्शन लॉ के तहत बाध्य नहीं है। यह खुलेआम हॉर्स ट्रेडिंग को न्योता देता है।'
जस्टिस बोबडे ने कहा, 'हम नहीं जानते कि बीएस येदियुरप्पा ने किस तरह के बहुमत का दावा किया है। जब तक कि हम समर्थन पत्र को नहीं देख लेते हम कोई अनुमान नहीं लगा सकते हैं।'
जिसके बाद सिंघवी ने कहा, 'झारखंड, गोवा और यूपी में अदालत ने पहले फ्लोर टेस्ट कराए जाने का आदेश दिया लेकिन यहां उसके लिए 15 दिनों का समय दिया जा रहा है। ऐसा करने का कोई कारण नहीं है।'
बहुमत साबित करने के लिए 15 दिन का समय दिए जाने पर जब कोर्ट ने सवाल पूछा तो मुकुल रोहतगी बोले, 'सुप्रीम कोर्ट चाहे तो इस समय को 10 दिन या सात दिन कर सकता है।'
जिसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने सरकारिया रिपोर्ट का हवाला देते हुए सिंघवी से सवाल किया, 'कांग्रेस-जेडीएस का गठबंधन चुनाव बाद का है और बीजेपी सबसे बड़ी पार्टी है। सबसे बड़े दल होने के नाते बीजेपी के दावे को परखना होगा।'
सुप्रीम कोर्ट ने पूछा क्या यह नियम नहीं है कि सबसे बड़ी पार्टी को सरकार बनाने के लिए राज्यपाल बुलाए? सिंघवी ने कहा कि बीजेपी सबसे बड़ी पार्टी हो सकती है लेकिन उसके पास बहुमत का समर्थन नहीं है।
जस्टिस बोबड़े ने सिंघवी से पूछा कि आपको इस बात का जानकारी कैसे है कि येदियुरप्पा ने विधायकों की सूची राज्यपाल को नहीं सौंपी है?
जस्टिस बोबड़े ने पूछा, क्या सुप्रीम कोर्ट राज्यपाल के आदेश पर रोक लगा सकती है?'
सिंघवी ने कहा, कोर्ट ऐसा कर सकती है और पहले भी ऐसा हो चुका है।
जस्टिस बोबड़े ने कहा कि अगर हम राज्यपाल के फैसले पर रोक लगा देते हैं तो राज्य में क्या शून्यता की स्थित नहीं पैदा हो जाएगी?
सिंघवी ने कहा कि ऐसा कुछ भी नहीं होगा, केयटेकर सरकार अस्तित्व में है। अगर शपथग्रहण समारोह कुछ दिनों बाद भी होता है तो केयरटेकर गवर्नर काम कर सकते हैं।
जिसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने सभी पक्षों को नोटिस जारी किया। सुप्रीम कोर्ट ने दोनों पक्षों को अपने-अपने विधायकों की लिस्ट सौंपने को कहा है। साथ ही येदियुरप्पा के शपथ ग्रहण पर रोक लगाने से इनकार कर दिया।
अटॉर्नी जनरल वेणुगोपाल ने कहा, 'यह याचिका दायर करने के बजाय कांग्रेस और जेडीएस को फ्लोर टेस्ट का इंतजार करना चाहिए था।'
हालांकि बहुमत साबित किए जाने के लिए 15 दिनों का समय दिए जाने के फ़ैसले पर सुप्रीम कोर्ट शुक्रवार को सुनवाई करेगी।
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Source : News Nation Bureau