कर्नाटक विधानसभा में फ्लोर टेस्ट से पहले बेंगलुरु के भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के कार्यालय में विधायकों की बैठक हो रही है। बैठक में शामिल होने के लिए सभी विधायक कार्यालय पहुंच रहे हैं।
सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद कर्नाटक विधानसभा में शनिवार चार बजे येदियुरप्पा को बहुमत साबित करना है। बहुमत साबित करने के लिए राज्यपाल ने बीजेपी विधायक केजी बोपैया को प्रोटेम स्पीकर के तौर पर नियुक्त किया है।
BJP MLAs arrive at Raj Bhavan in Bengaluru to meet the Governor. #Karnataka pic.twitter.com/YPxF0BwzWv
— ANI (@ANI) May 18, 2018
वहीं बीजेपी विधायक केजी बोपैया को प्रोटेम स्पीकर के तौर पर नियुक्त करने के राज्यपाल के फैसले पर कांग्रेस नेता अभिषेक मनु सिंघवी ने सवाल खड़े किए हैं।
What the BJP has done is against the rule book. Ideally the senior most leader is supposed to hold that position: Abhishek Manu Singhvi, Congress on BJP MLA KG Bopaiah being appointed as pro-tem speaker. #Karnataka pic.twitter.com/1qdqZDSqbl
— ANI (@ANI) May 18, 2018
सिंघवी ने कहा, 'बीजेपी ने जो कुछ भी किया, वह रूलबुक के खिलाफ है। आदर्श रूप से सबसे वरिष्ठ नेता को इस पद पर नियुक्त किया जाता है।'
प्रोटेम स्पीकर की नियुक्ती के खिलाफ राज्यपाल के फैसले पर कांग्रेस नेताओं और सीनियर वकीलों की एक टीम सुप्रीम कोर्ट जा रही है। ये लोग कोर्ट से मांग करेंगे कि इस मामले की सुनवाई जल्द की जाए।
'KG Bopaiah was appointed as Pro Tem speaker even in 2008 by the then Governor. That time Bopaiah was 10 years younger than what he is today. Congress is thus raising hoax objection. The appointment of Bopaiah Ji is as per rules and regulations: Prakash Javadekar. (File Pic) pic.twitter.com/9ZItjLT8d6
— ANI (@ANI) May 18, 2018
वहीं प्रोटेम स्पीकर बोपैया के समर्थन में बीजेपी नेता उतर गए हैं। बीजेपी नेता प्रकाश जावड़ेकर ने कर्नाटक में केजी बोपैया को प्रोटेम स्पीकर बनाए जाने के फैसले का स्वागत किया है। उन्होंने कहा, 'बोपैया की नियुक्ति नियमों के अनुसार हुई है। इससे पहले उन्हें साल 2008 में भी प्रो-टेम स्पीकर के तौर पर नियुक्त किया जा चुका है।'
केजी बोपैया 2009 से 2013 तक कर्नाटक विधानसभा में स्पीकर रह चुके हैं। बोपैया विराजपेट से बीजेपी के टिकट पर चुनाव जीतकर आए हैं।
कैसे होता है प्रोटेम स्पीकर का चुनाव
राज्यपाल अक्सर सदन के सबसे वरिष्ठ सदस्य को यह जिम्मेदारी सौंपते हैं।
प्रोटेम स्पीकर का काम होता है सदन में विधायकों को शपथ दिलाना।
फ्लोर टेस्ट के दौरान यह देखना कैसे सदन का संचालन ठीक ढंग से किया जा सकता है।
कब तक होता है कार्यकाल
प्रोटेम स्पीकर का कार्यकाल बेहद ही छोटा होता है।
जब तक स्थाई तौर पर अध्यक्ष का चुनाव नहीं हो जाता तब तक ये अपने पद पर बने रहते हैं।
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Source : News Nation Bureau