बेंगलुरु के यशवंतपुर में रहने वाली एक महिला गायंथी देवी ने पुलिस में शिकायत की है की साइड मुईन नाम के एक युवक ने उनकी बेटी खुशबू को शादी का प्रलोभन देकर उसका धर्म परिवर्तन कराया है. पुलिस ने गायंथी देवी की शिकायत पर कर्नाटका प्रोटेक्शन ऑफ राइट टू फ्रीडम ऑफ रिलीजन कानून के सेक्शन पांच के तहत मुईन के खिलाफ मामला दर्ज कर मुईन को गिरफ्तार कर लिया है. दरअसल 5 अक्टूबर को खुशबू घर से बिन बताए कहीं चली गई थी, घर वालों ने खुशबू को काफी ढूंढा लेकिन वो कही नही मिली. इसके बाद 6 अक्टूबर को गायत्री देवी ने यशवंतपुर थाने में खुशबू की गुमशुदगी की रिपोर्ट दर्ज कराई और आरोप लगाया की खुशबू इसी इलाके में रहने वाले मुईन के साथ कही चली गई है. लेकिन 8 अक्टूबर को खुशबू घर वापस आई और मुईन भी अपने घर वापस आ गया.
खुशबू के घर लौटने के 5 दिन बाद यानी बुधवार को गायंथी देवी ने यशवंतपुर थाने में फिर से शिकायत दर्ज कराई और आरोप लगाया की साइड मुईन ने शादी का प्रलोभन देकर खुशबू को इस्लाम धर्म कबूल करवाया है. बताया जा रहा है की मुईन और खुशबू काफी समय से एक दूसरे को जानते हैं. मुईन की चिकन की दुकान है, जबकि 19 साल की खुशबू पढ़ाई पूरी करने के बाद घर पर ही होती है.
क्या कहना है पुलिस का
बेंगलुरु नॉर्थ के डीसीपी विनायक पाटिल ने कहा की गायत्री देवी ने पहले 6 अक्टूबर को खुशबू की गुमशुदगी की रिपोर्ट दर्ज कराई थी, इसके बाद 8 तारीख को मोइन और खुशबू घर वापस आ गए थे, लेकिन 13 तारीख को गायत्री देवी ने फिर से शिकायत दर्ज कराई और कहा की मोइन ने आंध्र प्रदेश के पेनुकोंडा में खुशबू का धर्म परिवर्तन कराया है. गायत्री देवी की शिकायत पर हमने एंटी कन्वर्जन कानून के तहत मामला दर्ज कर लिया और मोइन को गिरफ्तार कर लिया है. मोइन को अदालत ने न्यायिक हिरासत में भेज दिया है. पुलिस मामले की जांच में जुटी है. यह पता लगाने की कोशिश कर रही है की 5 अक्टूबर से 8 अक्टूबर तक मुईन और खुशबू कहा थे और क्या उन्होंने धर्म परिवर्तन किसी मौलाना के पास किया है. पुलिस खुशबू से भी पूछताछ करने वाली है, ताकि पता चल सके कि जो आरोप खुशबू के घर वालो ने लगाए है वो सही है या नही.
क्या कहता है एंटी कन्वर्जन कानून
गौरतलब है की नए धर्मांतरण निरोधक कानून के मुताबिक अगर किसी शख्स को धर्म बदलना है तो उसे 30 दिन पहले डिस्ट्रिक्ट मजिस्ट्रेट को इसकी जानकारी देनी जरूरी है और अगर डिस्ट्रिक्ट मजिस्ट्रेट की जांच में प्रलोभन का कोई सबूत नहीं मिला तो धर्मांतरण की इजाज़त दी जा सकती है. नए कानून के मुताबिक अगर कोई शख्स किसी को प्रलोभन के तहत धर्मांतरण कराता है तो उसे तीन से पांच साल तक की सजा हो सकती है और 25 हजार का जुर्माना.
Source : Yasir Mushtaq