कर्नाटक में जारी राजनीतिक संकट के बीच संविधान विशेषज्ञों ने शुक्रवार को राज्यपाल के विधानसभा अध्यक्ष को निर्देश देने के अधिकार को लेकर अलग-अलग विचार व्यक्त किए. लोकसभा के पूर्व महासचिव सुभाष कश्यप ने कहा कि संविधान की अनुच्छेद 175 के तहत राज्यपाल को विधानसभा को संदेश जारी करने का "पूरा अधिकार" है और विधायिका जो भी पत्रचार मिले उस पर (यथाशीघ्र) कार्रवाई के लिए प्रतिबद्ध है.
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संविधान विशेषज्ञ ने कहा कि अनुच्छेद 168 यह स्पष्ट करता है कि राज्यपाल राज्य विधानसभा का हिस्सा है. वहीं लोकसभा के एक अन्य पूर्व महासचिव पीडीटी आचार्य ने कहा कि कर्नाटक के मामले में राज्यपाल ने संविधान के अनुच्छेद 175 की परिभाषा को ‘‘विस्तारित’’ कर दिया है. उन्होंने अनुच्छेद को उद्धृत करते हुए कहा कि राज्यपाल विधेयक के संबंध में जोकि विधायिका में लंबित हो या कहीं ओर, राज्य विधायिका के सदन या सदनों को संदेश भेज सकता है.
आचार्य ने कहा कि राज्यपाल सिर्फ विधेयकों के संदर्भ में संदेश भेज सकता है. शब्द "और अन्यथा" को इस तरह विस्तारित नहीं किया जा सकता कि कार्यवाही किस तरह हो. उन्होंने कहा, यह एक असाधारण कदम है, जो राज्यपाल ने उठाया है. अंतत: अदालत तय करेगी कि राज्यपाल को अधिकार है या नहीं. सदन की कार्यवाही पर अध्यक्ष का अधिकार है. अन्य कोई प्राधिकारी कार्यवाही के संचालन के संबंध में अध्यक्ष को नियंत्रित नहीं कर सकता.
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कर्नाटक के राज्यपाल वजुभाई वाला ने शुक्रवार को राज्य विधानसभा में विश्वास मत प्रक्रिया पूरी करने के लिए एक नई समय-सीमा तय की. विधानसभा के आज दोपहर डेढ़ बजे तक विश्वास मत प्रक्रिया पूरी करने में विफल रहने के बाद राज्यपाल ने कुमारस्वामी को दूसरा पत्र लिखा. अपने पूर्व के संदेश में राज्यपाल ने कहा था कि सत्तारूढ़ जदएस-कांग्रेस गठबंधन के 15 विधायकों के इस्तीफे और दो निर्दलीय विधायकों के समर्थन वापस लेने से प्रथम दृष्टया कुमारस्वामी सरकार के पास बहुमत नहीं होने का संकेत मिलता है.
इस बीच शुक्रवार को कुमारस्वामी भी राज्यपाल के दखल को लेकर सुप्रीम कोर्ट पहुंच गए. कुमारस्वामी ने न्यायालय से कहा है कि राज्यपाल विश्वासमत की कार्यवाही के संचालन को लेकर निर्देश नहीं दे सकते हैं. उन्होंने राज्यपाल द्वारा इस संबंध में समयसीमा तय करने को लेकर भी सवाल उठाया है. गौरतलब है कि करीब दो हफ्ते पहले सत्तारूढ़ गठबंधन के 15 बागी विधायकों के इस्तीफे से राज्य में राजनीतिक संकट पैदा हुआ था.
Source : BHASHA