उच्चतम न्यायालय ने शुक्रवार को कहा कि 1,200 मीट्रिक टन ऑक्सीजन की आपूर्ति के लिए कर्नाटक उच्च न्यायालय का आदेश उचित है. राज्य में लोग मर रहे हैं तो उच्च न्यायालय चुप नहीं रह सकता. शीर्ष अदालत ने उच्च न्यायालय के आदेश को चुनौती देने वाले केंद्र की याचिका पर विचार करने से इनकार कर दिया. शुरूआत में, न्यायमूर्ति डी. वाई. चंद्रचूड़ ने सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता को बताया, "यह उच्च न्यायालय का एक सुव्यवस्थित, सुविचारित न्यायिक अभ्यास है. हम कर्नाटक के नागरिकों को मुसीबत में नहीं डाल सकते." मेहता ने कहा कि उनकी आपत्ति कोविड महामारी के कारण चल रहे संकट के बीच केंद्र की ऑक्सीजन आवंटन योजना में दखल देने के उच्च न्यायालय के संबंध में है. शीर्ष अदालत ने इस बात पर जोर दिया कि वह लोगों के साथ 'गंभीर अन्याय' से बचना चाहती है. केंद्र ने दावा किया कि अगर उच्च न्यायालयों ने ऑक्सीजन की आपूर्ति के लिए दिशा-निर्देश देना शुरू कर दिया, तो काम करना मुश्किल हो जाएगा.
शीर्ष अदालत ने कहा कि यह केंद्र द्वारा सामना की जा रही कठिनाई के प्रति सचेत है, लेकिन अदालत को यह भी सोचना होगा कि अगर एक राज्य में कोविड रोगियों के लिए ऑक्सीजन की आपूर्ति की आवश्यकता पूरी नहीं हुई, तो क्या होगा. केंद्र के वकील ने तर्क दिया कि यदि सभी उच्च न्यायालयों ने राज्य को चिकित्सा ऑक्सीजन की आपूर्ति पर आदेश पारित करना शुरू कर दिया तो यह बहुत मुश्किल होगा. मेहता ने कहा कि इससे हर उच्च न्यायालय ऑक्सीजन की जांच करेगा और इस संबंध में आदेश देने लगेगा. मेहता ने शीर्ष अदालत से आग्रह करते हुए कहा कि कृपया आदेश दें कि इसे एक मिसाल नहीं माना जाए.
न्यायमूर्ति चंद्रचूड़ ने जवाब दिया कि अदालत एक व्यापक मुद्दे को देख रही है. सुनवाई के दौरान केंद्र के वकील ने टिप्पणी की, "सभी उच्च न्यायालयों को राज्यों को ऑक्सीजन वितरित करने दें." कई दिनों से, शीर्ष अदालत कोविड महामारी के खिलाफ लड़ाई में ऑक्सीजन और अन्य आवश्यक संसाधनों की आपूर्ति को लेकर केंद्र और विभिन्न राज्यों के बीच विवादों पर सुनवाई कर रही है.
HIGHLIGHTS
- शीर्ष अदालत ने इस बात पर जोर दिया कि वह लोगों के साथ 'गंभीर अन्याय' से बचना चाहती है
- शीर्ष अदालत ने कहा कि यह केंद्र द्वारा सामना की जा रही कठिनाई के प्रति सचेत है
- राज्य में ऑक्सीजन की कमी से लोग मर रहे हैं तो उच्च न्यायालय चुप नहीं रह सकता
Source : IANS