कर्नाटक हाई कोर्ट में शिक्षण संस्थानों में हिजाब पर बैन को लेकर सुनवाई लगातार जारी है. इस मामले में अब तक 11 दिनों तक सुनवाई हो चुकी है. जो आगे भी जारी रहेगी. फिलहाल हिजाब बैन को लेकर कोर्ट में आए तमाम पक्षों की ओर से आज भी दलीलें पेश की गई, और फिर उनपर सफाई भी दी गई. इस दौरान एनआईए जांच की मांग को लेकर आई एक पीआईएल की सुनवाई भी हाई कोर्ट ने की और कहा कि जब तक सबूत न हो, हम अनुमानों के आधार पर काम नहीं कर सकतें. जानें, आज की सुनवाई के दौरान किस वकील ने क्या पक्ष रखे और अदालत ने उसमें क्या कुछ कहा...
इस मामले में करीब 2.30 सुनवाई शुरू हुई. जिसमें सबसे पहले वरिष्ठ अधिवक्ता युसूफ मुच्छल ने अपनी बात रखी. उन्होंने कहा कि हाई कोर्ट किसी पीआईएल की सुनवाई करे, उससे पहले हम इस मुद्दे पर कुछ कहना चाहते हैं. जिसकी हाई कोर्ट ने अनुमति दे दी. इसके बाद वरिष्ठ अधिवक्ता युसूफ मुच्छल ने कहा कि हमने शासनादेश को रद्द करने और याचिकाकर्ता को हिजाब पहनकर कॉलेज जाने की अनुमति मांगी है. हमने केवल इतना कहा है कि हमें सिर को कपड़े से ढकने की अनुमति दी जानी चाहिए. हमें ऐसा करने से रोकना कॉलेज का सही नहीं है. इस दौरान उन्होंने ये भी कहा कि स्कूली बच्चियों को सर ढकने की अनुमति मिलनी ही चाहिए, और इसके लिए हेड-स्कार्फ सही शब्द है. उन्होंने कुरान का उल्लेख किया और सबरी माला मामले के साथ ही अयोध्या मामले का भी जिक्र किया. उन्होंने कहा कि हेड स्कार्फ से सिर्फ सर ढकता है, पूरा चेहरा नहीं. ऐसे में कोर्ट को कम से कम शुक्रवार और रमजान के महीने में इसे पहनने की अनुमति दे देनी चाहिए. उन्होंने कहा कि अगर अनिवार्य धार्मिक प्रथा पर बात विचार करना है, तो इस पर भी बात हो सकती है.
इस दौरान एक याचिका मामले की मीडिया कवरेज पर रोक लगाने को लेकर भी दायर की गई थी. जिसमें छात्राओं, महिलाओं की हिजाब वाली तस्वीरों-वीडियो को टीवी चैनलों पर दिखाने से रोक लगाने की मांग की गई थी. इस मामले में हाई कोर्ट ने कहा कि इसके लिए आप को पुलिस या अन्य सक्षम मंच पर जाना चाहिए और अगर कार्रवाई नहीं होती है, तो फिर कोर्ट आना चाहिए. हाई कोर्ट ने ये याचिका खारिज कर दी. हालांकि वकील ने एक छात्रा का पीछा करते हुए और सवाल पूछते हुए वीडिया बना रहे पत्रकार की सीडी भी कोर्ट को सौंपी थी, लेकिन कोर्ट ने उसे खारिज कर दिया.
इस मामले में कोर्ट में एक याचिका कॉलेज के मैनेजमेंट में शामिल स्थानीय विधायक को जिम्मेदार ठहराने को लेकर भी दायर की थी. कोर्ट ने इस मामले में दलील सुनी और उस पर अपना फैसला सुरक्षित रख लिया है. इस मामले में याचिका कर्ता ने कहा कि स्थानीय विधायक को स्कूल के मामलों में असीमित ताकत दी गई है, क्योंकि उसे प्रेसीडेंट बना दिया गया है और उसके प्रतिनिधि को सदस्य. ऐसे में 4 सदस्यीय मैनेजमेंट में सारी ताकत विधायक के पास चली गई है. स्कूल के प्रिंसिपल के पास सिवाय विधायक के हुक्म मानने के कोई और रास्ता नहीं है. याचिकाकर्ता ने कहा कि विधायक के पास राजाओं जैसी असीमित शक्ति आ गई है, ऐसे में किसी भी हंगामे या बवाल के लिए विधायक को भी जिम्मेदार ठहराया जाना चाहिए.
इस मामले में एक याचिका में मांग की गई थी कि जब तक मामले की सुनवाई चले, तब तक छात्राओं को हिजाब पहनने की अनुमति दी जानी चाहिए. लेकिन हाई कोर्ट ने तुरंत कहा कि हम कोई अंतरिम आदेश नहीं देने वाले हैं, अब तो पूरा आदेश ही आएगा.
HIGHLIGHTS
- हिजाब विवाद में 11वें दिन चली सुनवाई
- कर्नाटक हाई कोर्ट ने पूरी कर ली सुनवाई
- अगले सप्ताह कभी भी आ सकता है हाई कोर्ट का फैसला