पाकिस्तान की ओर से बुधवार को पवित्र धार्मिक स्थल करतारपुर कॅारिडोर की नींव रखने और पाक पीएम इमरान खान को खुद को शांति का दूत बताने के बाद आज (शुक्रवार) भारतीय थल सेना अध्यक्ष बिपिन रावत ने पत्रकारों से बात की. जहां पाकिस्तान लगातार दावा कर रहा है कि वह भारत के साथ शांति के लिए प्रयासरत है वहीं सेना अध्यक्ष ने कहा कि अगर पाकिस्तान शांति वार्ता के लिए वाकई कदम उठाना चाहता है तो पहले उसे खुद को सेक्युलर देश बनाना होगा.
जनरल बिपिन रावत ने कहा,' पाकिस्तान ने खुद को एक इस्लामिक देश की तरह विकसित किया है. अगर वह भारत के साथ कदम से कदम मिलाकर चलना चाहते हैं तो पहले उन्हें एक धर्म निरपेक्ष देश बनना होगा. हम एक धर्म निरपेक्ष देश है, अगर वह हमारी तरह सेक्युलर बनने की राह पर चलते हैं तो शांति का एक विकल्प दिखाई देता है.'
Army Chief General Bipin Rawat: Pakistan has made its state an Islamic State. If they have to stay together with India, then they've to develop as a secular state. We are a secular state. If they're willing to become secular like us, then they seem to have an opportunity pic.twitter.com/1Os8jBzfRh
— ANI (@ANI) November 30, 2018
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पत्रकारों से बात करते हुए सेनाध्यक्ष ने कहा,' वो (पाकिस्तान) कह रहे हैं कि अगर आप एक कदम शांति की ओर बढ़ाते हैं तो हम 2 कदम बढ़ाएंगे. यह उनकी कथनी और करनी के बिल्कुल उलट है. पहला कदम उनकी तरफ से सकारात्मक शुरुआत का होना चाहिए, उसके बाद हम दूसरा कदम तभी उठाएंगे जब हम देखेंगे की वह कदम जमीनी स्तर पर कितना प्रभावी है. तब तक हमारे देश की नीति साफ है कि आतंक और बातचीत साथ-साथ नहीं हो सकती.'
Army Chief: They're (Pak) saying you take one step, we'll take 2. There is contraditcion in what they're saying. 1 step from there should come in a positive manner,we'll see if the step has effect on ground.Till then our nation has a clear policy- terror & talks can't go together pic.twitter.com/QzhbsNQQLu
— ANI (@ANI) November 30, 2018
इस दौरान सेनाध्यक्ष ने भारतीय सेना में महिलाओं की भागीदारी को लेकर बड़ा ऐलान किया है.
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रावत ने कहा कि हम भारतीय सेना में महिलाओं की भागीदारी को बढ़ावा देने पर विचार कर रहे हैं. हमने अब तक प्रथम श्रेणी युद्ध में महिलाओं को शामिल नहीं किया है. हमें लगता है कि हम अभी तक तैयार नहीं हैं। पश्चिमी देश इसको लेकर अधिक खुले हैं। हमारे यहां बड़े शहरों में लड़के और लड़कियां एक साथ काम कर रहे हैं लेकिन सेना में आने वाले सारे लोग केवल बड़े शहरों से ही नहीं आते है.
Source : News Nation Bureau