पंजाब के गुरदासपुर जिले के मान गांव में उपराष्ट्रपति वेंकैया नायडू सोमवार को डेरा बाबा नानक-करतारपुर साहिब रोड गलियारे की आधारशिला रखने वाले हैं. वहीं पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान पाकिस्तान की तरफ से करतारपुर कॉरिडोर की 28 नवंबर को आधारशिला रखेंगे. वीजा मुफ्त इस कॉरिडोर के लिए भारत और पाकिस्तान के बीच परस्पर सहमति पड़ोसी मुल्कों की आपसी खींचतान को कम करने में मदद कर सकती है. लंबे समय के बाद किसी मुद्दे पर दोनों मुल्कों ने एक-दूसरे को सहमति देकर दो तरफ के लोगों के बीच संबंधों को सुधारने का प्रयास किया है.
पाकिस्तान ने 28 नवंबर को इस गलियारे के आधारशिला के लिए भारत को निमंत्रण दिया था जिसे स्वीकार किया गया. यह दोनों देशों के लोगों के बीच एक सकारात्मक संदेश है. विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने इसके लिए पाकिस्तान के विदेश मंत्री शाह महमूद कुरैशी के निमंत्रण का जवाब देते हुए कहा था कि खाद्य प्रसंस्करण उद्योग मंत्री हरसिमरत कौर बादल और आवास एवं शहरी मामलों के केंद्रीय राज्य मंत्री हरदीप सिंह पुरी नरेंद्र मोदी सरकार का प्रतिनिधित्व करेंगे. बता दें कि मोदी सरकार में ये दोनों मंत्री सिख समुदाय से हैं.
करतारपुर कॉरिडोर पर केंद्र सरकार का फैसला
केंद्रीय मंत्रिमंडल द्वारा 22 नवंबर को 2019 में गुरु नानक की 550वीं जयंती से पहले पाकिस्तान के साथ लगी अंतर्राष्ट्रीय सीमा पर पंजाब के गुरदासपुर जिले से एक गलियारा बनाने का फैसला लिया गया था.
वित्त मंत्री ने इस निर्णय पर कहा था, 'कई श्रद्धालु अंतर्राष्ट्रीय सीमा पर उस जगह पर जाते हैं, जहां से करतारपुर में गुरुद्वारा दिखता है. सरकार ने बॉर्डर टर्मिनल पर सभी अत्याधुनिक सुविधाओं के साथ विशेष कॉरिडोर बनाने का निर्णय लिया है और जिन्हें सीमा पार करने की इजाजत होगी, उनके लिए यहां वीजा और कस्टम सुविधाएं भी उपलब्ध कराई जाएंगी.
भारत ने भी पाकिस्तान सरकार को सिख समुदाय की भावनाओं को ध्यान में रखते हुए उनके क्षेत्र में पर्याप्त एवं सुगम सुविधाओं के साथ और भारत से पूरे वर्ष श्रद्धालुओं के सुगम तीर्थाटन के लिए कॉरिडोर बनाने का आग्रह किया था जिसके बाद पाकिस्तान की इमरान सरकार ने इसका समर्थन दिया और इस गलियारे की आधारशिला रखने के लिए 28 नवंबर की तारीख को तय किया.
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क्यों महत्वपूर्ण है करतारपुर साहिब गुरुद्वारा
करतारपुर साहिब वह जगह है, जहां 1539 में गुरु नानक जी के निधन के बाद पवित्र गुरुद्वारे का निर्माण कराया गया था. यह पाकिस्तान में रावी नदी के नजदीक स्थित है. यह भारत के पंजाब के गुरदासपुर जिले के डेरा बाबा नानक से चार किलोमीटर दूर है.
गुरुनानक ने अपने जीवन के अंतिम 18 साल इसी स्थान पर बिताए थे. अगस्त 1947 में विभाजन के बाद यह गुरुद्वारा पाकिस्तान के हिस्से में चला गया था. लेकिन सिख धर्म और ऐतिहासिक महत्व के कारण इस गलियारे की मांग लंबे समय से की जा रही थी.
भारत और पाकिस्तान ने तीर्थस्थलों के दौरे के लिए द्विपक्षीय प्रोटोकॉल पर 1974 में हस्ताक्षर किया था. भारत के सिख तीर्थयात्री अब प्रतिष्ठित गुरुद्वारा दरबार साहिब का दौरा करने में सक्षम होंगे. इससे पहले नवंबर में, पाकिस्तान ने गुरु नानक की 549वीं जयंती के जारी समारोहों के लिए सिख तीर्थयात्रियों को 3,800 से अधिक वीजा जारी किए थे.
क्या है करतारपुर कॉरिडोर
प्रस्ताव के मुताबिक, भारत पंजाब के डेरा बाबा नानक से अंतरराष्ट्रीय सीमा तक 2 किलोमीटर के गलियारे का निर्माण करेगा. वहीं पाकिस्तान को भी सीमा से नारोवल जिले में गुरुद्वारे तक करीब 2 किलोमीटर के गलियारे का निर्माण करना है.
यह गलियारा अगले कुछ महीनों में बनकर तैयार हो जाएगा. जिससे सिख श्रद्धालुओं को 2019 में गुरु नानक की 550वीं जयंती पर करतारपुर साहिब गुरुद्वारे के दर्शन का मौका मिलेगा.
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भारत सरकार पंजाब के सुल्तानपुर लोधी को एक धरोहर शहर के रूप में विकसित करेगी. केंद्रीय मंत्रिमंडल के फैसले के बाद जेटली ने कहा था कि सुल्तानपुर लोधी में सिख गुरु की जिंदगी और शिक्षाओं के बारे में बताया जाएगा. इस धरोहर परिसर को 'पिंड बाबा नानक दा' के रूप में भी विकसित किया जाएगा.
कॉरिडोर से भारत-पाकिस्तान के संबंधों में सुधार की उम्मीद
पिछले कुछ सालों में दोनों पड़ोसी देशों के बीच द्विपक्षीय बातचीत नहीं होने के कारण रिश्तों में काफी ज्यादा दरार आ गई थी. जम्मू-कश्मीर में आतंकी हमलों से लगातार जूझने के कारण पाकिस्तान के साथ बातचीत की गुंजाईश कमजोर हो रही थी. करतारपुर गलियारे में आपसी सहमति बनने के बाद इस दरार को काफी हद तक पाटा जा सकता है. लेकिन पाकिस्तान को आतंकवाद जैसे मुद्दों पर सख्त कार्रवाई करने की जरूरत है.
इस साल चुनाव जीतन के बाद ही प्रधानमंत्री इमरान खान ने भारत के साथ पाकिस्तान के रिश्तों को सुधारने की इच्छा जाहिर की थी और कहा था कि उनकी सरकार चाहेगी कि दोनों पक्षों के नेता कश्मीर समेत सभी विवादों को बातचीत के जरिये हल करें.
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इमरान खान ने भारत के साथ संबंधों को लेकर कहा था कि, 'अगर भारत विवाद सुलझाने के लिए तैयार है, तो हम दो कदम बढ़ाने के लिए तैयार हैं, लेकिन उन्हें वह एक कदम उठाना होगा. एक-दूसरे पर आरोप-प्रत्यारोप हमें कहीं लेकर नहीं जाएगा.'
Source : News Nation Bureau