अदालत ने कांग्रेस के वरिष्ठ नेता पी. चिदंबरम के बेटे कार्ति चिदंबरम को आईएनएक्स मीडिया भ्रष्टाचार मामले में 24 मार्च तक न्यायिक हिरासत में भेज दिया है।
पटियाला हाऊस कोर्ट ने कार्ति चिदंबरम की उस याचिका को भी खारिज कर दिया, जिसमें उन्होंने तिहाड़ कारागार में अलग बंदीगृह की मांग की थी। अदालत ने कहा कि आरोपी और उनके पिता के सामाजिक दर्जे की वजह से उन्हें अन्य आरोपियों से अलग नहीं समझा जा सकता।
केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) ने विशेष न्यायाधीश सुनील राणा को बताया था कि उसे अब कार्ति चिदंबरम की हिरासत की जरूरत नहीं है। इसके बाद अदालत ने उन्हें न्यायिक हिरासत में भेज दिया।
कार्ति चिदंबरम को पिछले महीने गिरफ्तार किया गया था। उनके ऊपर 2007 में आईएएनएक्स मीडिया को विदेशी निवेश संवर्धन बोर्ड (एफआईपीबी) से मंजूरी दिलाने के लिए पैसे लेने का आरोप है। उस वक्त उनके पिता संप्रग सरकार में वित्त मंत्री थे।
बचाव पक्ष के वकील दयन कृष्णन और मोहित माथुर ने अदालत को बताया कि कार्ति चिदंबरम के पिता कई सख्त दंड कानूनों से जुड़े रहे हैं जिसमें टाडा, मकोका, गैरकानूनी (गतिविधि) रोकथाम अधिनियम और एनडीरीएस अधिनियम शामिल है।
तिहाड़ जेल में बंद कई कैदी इन धाराओं के तहत सजा काट रहे हैं, जहां कार्ति को उनकी न्यायिक हिरासत के दौरान रखा जाएगा। इसलिए वहां उनकी सुरक्षा को खतरा है।
बचाव पक्ष के वकीलों ने अदालत से न्यायिक हिरासत के दौरान अलग से बंदीगृह के आवंटन से संबंधित निर्देश जारी करने का अनुरोध किया।
सीबीआई के वकील वी.के. शर्मा ने कहा कि आरोपी की शंका का कोई आधार नहीं है क्योंकि आरोपी निरंतर अंतराल पर विदेश जाता रहा है।
कार्ति चिदंबरम की यात्राओं पर जोर देते हुए उन्होंने कहा कि अगर आरोपी को उस वक्त किसी तरह का खतरा नहीं लगा तो जेल में उसे अब किस चीज का डर है। जेल में बड़ी संख्या में सुरक्षाकर्मी तैनात रहते हैं।
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जांच एजेंसी के तर्क पर प्रतिक्रिया देते हुए बचाव पक्ष के वकील ने कहा कि कार्ति को जान के गंभीर खतरे की आशंका है क्योंकि तिहाड़ जेल में सुरक्षा इंतजामों की मांग की उनकी याचिका का सीबीआई विरोध कर रही है।
दिग्गज व्यवसायी राजन पिल्लई की हिरासत में मौत का हवाला देते हुए कार्ति चिदंबरम के वकील ने चिंता जताई कि जेल में बंद रहने के दौरान उनके मुवक्किल के साथ 'कुछ करने की सुनियोजित साजिश है।'
बचाव पक्ष के वकील के दलीलों को समझते हुए अदालत ने कहा कि आरोपी के वरिष्ठ वकील द्वारा उठाई गई शंका को उनकी समाज में स्थिति और खासतौर पर उनके पिता के मद्देनजर नजरअंदाज नहीं किया जा सकता।
अदालत ने कहा, 'लेकिन, केवल आरोपी और उनके पिता की समाज में स्थिति के तथ्य को ध्यान में रखकर उन्हें दूसरे आरोपियों से अलग नहीं किया जा सकता और उन्हें अलग जेल में रखने की इजाजत नहीं दी जा सकती।'
हालांकि, अदालत ने तिहाड़ जेल के अधीक्षक और हवालात प्रभारी को नियमों के तहत न्यायिक हिरासत के दौरान आरोपी की पूर्ण सुरक्षा सुनिश्चित करने का निर्देश दिया।
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Source : News Nation Bureau