करवा चौथ (karva chauth) पर व्रत रखने वाली सुहागिनों को चांद निकलने का बेसब्री से इंतजार था. अब उनका ये इंतजार खत्म हो गया है. दिल्ली, पटना समेत पूरे देश में चांद दिख गया है. अब सुहागिनों ने पूजा की थाली सजाकर चांद का दीदार किया और प्रार्थनाएं की. कोलकाता और गोरखपुर में चांद नजर आया है.
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आज यानी गुरुवार को पूरे देश में करवा चौथ का व्रत मनाया जा रहा है. ये दिन सुहागिन स्त्रियों को लिए काफी अहम होता है. इस दिन महिलाएं उपवास करते हुए अपनी पति की लंबी आयु की कामना करती हैं. करवा चौथ शब्द दो शब्दों से मिलकर बना है, 'करवा' यानी 'मिट्टी का बरतन' और 'चौथ' यानि 'चतुर्थी'. इस बार करवा चौथ पर कई विशेष संयोग बन रहे हैं.
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करवा चौथ के दिन महिलाएं सुबह सूर्योदय से लेकर सूर्यास्त तक बिना कुछ खाए व्रत रखती हैं. देर शाम करीब 8 बजे चांद दिखा. महिलाएं चांद को अर्ध्य देने के बाद ही अपना व्रत तोड़े रही हैं. इस त्योहार पर मिट्टी के बरतन यानी करवे का विशेष महत्व बताया गया है. माना जाता है करवा चौथ की कथा सुनने से विवाहित महिलाओं का सुहाग बना रहता है, उनके घर में सुख, शांति, समृद्धि और संतान सुख मिलता है.
इस बार करवा चौथ में है खास संयोग
चंद्रमा की 27 पत्नियों में से उन्हें रोहिणी सबसे ज्यादा प्रिय है. यही वजह है कि यह संयोग करवा चौथ को और खास बना रहा है. इसका सबसे ज्यादा लाभ उन महिलाओं को मिलेगा जो पहली बार करवा चौथ का व्रत रखेंगी. करवाचौथ की पूजा के दौरान महिलाएं पूरा दिन निर्जला व्रत करके रात को छलनी से चंद्रमा को देखने के बाद पति का चेहरा देखकर उनके हाथों से जल ग्रहण कर अपना व्रत पूरा करती हैं.