केंद्र सरकार नवगठित केंद्र शासित प्रदेश जम्मू एवं कश्मीर की पुलिस और कानून-व्यवस्था को उपराज्यपाल के जरिए खुद नियंत्रित करेगी, जबकि जमीन संबंधित मुद्दों को निर्वाचित सरकार देखेगी. यह जानकारी एक अधिकारी ने रविवार को दी. इस कदम के तहत ठीक उसी तरह के प्रशासनिक उपाय अपनाए जाएंगे, जिस तरह केंद्र शासित राज्य दिल्ली और पुडुचेरी में अपनाए जाते हैं.
यह जानकारी जम्मू एवं कश्मीर में केंद्र सरकार द्वारा लागू बंदी के बीच आई है, जो अब केंद्र शासित प्रदेश बन चुका है. राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने राज्य को दो केंद्र शासित प्रदेशों में बांटने के एक कानून को शुक्रवार को अपनी मंजूरी दे दी.जम्मू एवं कश्मीर में विधानसभा होगी, जबकि लद्दाख में विधानसभा नहीं होगी.
कोविंद ने जम्मू एवं कश्मीर को दो केंद्र शासित प्रदेशों में बांटने वाले जम्मू एवं कश्मीर पुनर्गठन अधिनियम, 2019 को मंजूरी दे दी थी. दोनों केंद्र शासित प्रदेश 31 अक्टूबर को अस्तित्व में आ जाएंगे. इस अधिनियम को इसके पहले संसद ने मंगलवार को पारित कर दिया था.
पता चला है कि भूमि अधिकार -कृषि भूमि का हस्तांतरण, भूमि उन्नतीकरण और कृषि ऋण, भूमि राजस्व, भूमि रिकॉर्ड का मेनटेनेंस, राजस्व उद्देश्य से सर्वे और अधिकारों के रिकॉर्ड- केंद्र शासित जम्मू एवं कश्मीर की निर्वाचित सरकार के अधीन होंगे, जबकि दिल्ली में ये सारे अधिकार दिल्ली विकास प्राधिकरण (डीडीए) के जरिए उपराज्यपाल के पास होते हैं. डीडीए केंद्र सरकार की संस्था है.
जम्मू एवं कश्मीर पुनर्गठन अधिनियम, 2019 के अनुसार, केंद्र शासित जम्मू एवं कश्मीर में एक निर्वाचित मुख्यमंत्री के साथ विधानसभा होगी.
जम्मू एवं कश्मीर विधानसभा केंद्र शासित राज्य के लिए कानून बना सकती है, लेकिन राज्य की पुलिस और कानून-व्यवस्था केंद्र सरकार द्वारा नियुक्त उपराज्यपाल के हाथों में होगी। यही व्यवस्था दिल्ली और पुडुचेरी में भी है.
केंद्र शासित प्रदेश जम्मू एवं कश्मीर में एक उपराज्यपाल होगा और विधानसभा में अधिकतम 107 सीटें होंगी, जिसे परिसीमन के बाद बढ़ाकर 114 तक किया जा सकता है. विधानसभा में 24 सीटें खाली रहेंगी, क्योंकि वे पाकिस्तानी कब्जे वाले कश्मीर में पड़ती हैं.
केंद्र शासित लद्दाख में कानून-व्यवस्था और भूमि का मुद्दा, दोनों उपराज्यपाल के सीधे नियंत्रण में होगा, जिनके जरिए केंद्र इस क्षेत्र पर शासन करेगा.
31 अक्टूबर से जम्मू एवं कश्मीर और लद्दाख के लिए एक संयुक्त उच्च न्यायालय, जम्मू एवं कश्मीर उच्च न्यायालय होगा. मौजूदा विधिक निकाय के न्यायाधीश संयुक्त उच्च न्यायालय में दंडाधिकारी होंगे.
भारतीय प्रशासनिक सेवा (आईएएस), भारतीय पुलिस सेवा (आईपीएस) और भ्रष्टाचार रोधी ब्यूरो (एसीबी) जैसी अखिल भारतीय सेवाओं के सभी शीर्ष प्रशासनिक पद उपराज्यपाल के नियंत्रण में होंगे.