सुरक्षाबलों के पैलेट गन से आंख गंवा चुकी जम्मू-कश्मीर की इंशा मुश्ताक के 10 वीं कक्षा में पास होन के एक दिन बाद महबूबा सरकार ने उसे गैस एजेंसी देने का फैसला किया है।
कश्मीर में पैलेट गन का इस्तेमाल विवादित रहा है। अब उसकी शिकार इंशा मुश्ताक ने कामयाबी हासिल कर पैलेट गन के पक्षधरों की आवाज कुंद है। इंशा ने बताया कि आंखों की रौशनी चले जाने की वजह से उन्होंने संगीत विषय से पढ़ाई की और उसे सफलता मिली।
जुलाई 2016 में शोपियां के एक गांव से 15 वर्षीय इंशा मुश्ताक अपने घर की खिड़की से बाहर देख रही थी। इसी दौरान सुरक्षा कर्मियों की पैलेट गन उसके आंखों में जा लगी। पैलेट लगते ही इंशा की आखों की रोशनी हमेशा के लिए चली गई।
जम्मू-कश्मीर की मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती ने राज्यपाल के अभिभाषण पर धन्यवाद प्रस्ताव के दौरान कहा, 'मंगलवार को 10 वीं कक्षा पास करने वाली इंशा मुश्ताक को सरकार गैस एजेंसी देगी।'
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दक्षिण कश्मीर के शोपियां जिले के सुदूर गांव में रहने वाली इंशा ने 43,000 छात्रों के साथ 10वीं की परीक्षा उत्तीर्ण की।
मुख्यमंत्री ने कहा, '2010 में पैलेट गन लाया गया और इसका इस्तेमाल विषम परिस्थितियों में किया जाता है। मेरे कार्यकाल में इसका इस्तेमाल हुआ और 22 लोगों की आखों में चोटे आई, जिसमें से 6 की रोशनी बिल्कुल चली गई, इनमें इंशा भी थी।'
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Source : News Nation Bureau