कश्मीर में युवाओं का आतंकवाद को अपनाना सेना के लिए बड़ी चिंता

आतंकवाद में शामिल हुए कुल 131 स्थानीय युवाओं में से 24 उत्तरी कश्मीर और 107 दक्षिण कश्मीर से हैं.

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Nihar Saxena
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सांकेतिक तस्वीर( Photo Credit : न्यूज नेशन)

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जम्मू एवं कश्मीर (Jammu Kashmir) में आतंकवाद में स्थानीय युवाओं की भर्ती भारतीय सेना के लिए एक बड़ी चिंता है. इस साल घाटी में अब तक 131 युवा आतंकवाद का रास्ता अपना चुके हैं. पिछले साल 117 युवा आतंकवाद में शामिल हुए थे. 15 कोर के जनरल ऑफिसर कमांडिंग लेफ्टिनेंट जनरल बीएस राजू ने कहा, 'आतंकवाद में स्थानीय युवाओं की भर्ती एक बड़ी चिंता है. मैं सिर्फ एक कारण पर अपनी उंगली नहीं उठा सकता कि भर्ती क्यों हो रही है, लेकिन मुझे इसमें कोई बड़ा पैटर्न नजर नहीं आ रहा है.'

उन्होंने कहा, 'बड़ी संख्या में ऐसे घटक हैं, जो इसमें एक भूमिका निभाते हैं. हम यह सुनिश्चित करने के लिए अपनी तरफ से कोशिश करेंगे कि हम किसी के भी लाइन को पार करने का कारण न बनें.' राजू ने कहा, 'यह एक जटिल मुद्दा है. यह निश्चित रूप से हमारे रडार पर है और यह भर्ती को रोकने के लिए कार्रवाई की एक महत्वपूर्ण रेखा रहेगी.' आतंकवाद में शामिल हुए कुल 131 स्थानीय युवाओं में से 24 उत्तरी कश्मीर और 107 दक्षिण कश्मीर से हैं.

उत्तरी कश्मीर में 18 युवा लश्कर-ए-तैयबा में शामिल हो गए, एक हिजबुल मुजाहिदीन, चार जैश-ए-मोहम्मद और एक इस्लामिक स्टेट इन जम्मू एंड कश्मीर (आईएसजेके) में शामिल हो गया. इसके अलावा दक्षिण कश्मीर में 18 युवा लश्कर-ए-तैयबा में शामिल हुए, 57 हिजबुल मुजाहिदीन में शामिल हुए, 14 जैश-ए-मोहम्मद में, दो अंसार गजावत-उल-हिंद और 16 अल बद्र में शामिल हुए. यह भी पाया गया कि आतंकवाद में भर्ती हुए 131 युवाओं में से 102 युवा 16 से 25 वर्ष के आयु वर्ग के हैं, जबकि 29 युवा 25 वर्ष से अधिक के हैं. आतंक का रास्ता अपनाने वाले कुल 131 युवाओं में से 62 भारतीय सेना के विभिन्न अभियानों के दौरान ढेर कर दिए गए, 14 को गिरफ्तार किया गया और दो ने आत्मसमर्पण किया. इनमें से कुल 52 अभी भी सक्रिय हैं.

पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी इंटर-सर्विसेज इंटेलिजेंस (आईएसआई) कश्मीर में नए आतंकवादी हमलों को अंजाम देने के लिए आतंकी संगठन अल बद्र का सहारा ले रही है. खुफिया एजेंसियों ने कहा है कि अल बद्र प्रमुख बख्त जमीन ने इस साल जून में पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर (पीओके) में एक रैली के दौरान दावा किया था कि संगठन जल्द ही कश्मीर की आवाज बनकर उभरेगा.

लेफ्टिनेंट जनरल बी. एस. राजू ने कहा कि युवाओं को हथियार उठाने से रोकने के लिए भारतीय सेना ने एक बड़ा कार्यक्रम भी शुरू किया है. उन्होंने कहा, 'हम बुजुर्गों, महिलाओं, लड़कियों, लड़कों, छात्रों और मौलवी (धार्मिक उपदेशकों) के साथ संलग्न हैं. प्रत्येक व्यक्ति को एक अलग तरीके से संबोधित किया जाता है.' उन्होंने कहा कि कार्यक्रम में भाग लेने के लिए लोगों में उत्साह की मात्रा उन्हें काफी उम्मीद देती है. अधिकारी ने कहा, 'अनंतनाग में एक जगह है, जहां लड़कियों ने कबड्डी खेली.' राजू ने कहा कि युवा भाग लेने के लिए एक अवसर की प्रतीक्षा कर रहे हैं. उन्होंने कहा, 'आपने उन्हें एक मौका दिया, वे इसे तुरंत लपक लेंगे.'

उन्होंने यह भी कहा कि घाटी में मनोरंजन के लिए सुविधाओं का अभाव है. उन्होंने कहा, 'सऊदी अरब में मूवी हॉल (फिल्म थियेटर) हैं, पाकिस्तान में मूवी हॉल हैं, लेकिन जम्मू एवं कश्मीर में मूवी हॉल नहीं हैं.' अधिकारी ने कहा, 'मैं यह विडंबना नहीं समझ पा रहा.' 1990 के दशक में कश्मीर के अधिकांश सिनेमा हॉल आतंकवादी समूहों की ओर से जारी किए गए फरमान के कारण बंद कर दिए गए थे.

Source : IANS

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