इंडियन स्पेस रिसर्च ऑर्गनाइज़ेशन (इसरो) जीएसएलवी-एमके 3 को लेकर काफी उत्साहित है और हर रोज़ इसकी क्षमता को और बेहतर बनाने की कवायद में जुटा है। इसकी मदद से 4 टन या उससे अधिक वजनी उपग्रहों को अंतरिक्ष में भेजा जाता है या अंतरिक्ष में मानव मिशन को अंजाम दिया जाता है।
अमेरिका, रूस और चीन के पास ऐसे रॉकेट हैं, जिनका इस्तेमाल अंतरिक्ष में मानव मिशन के लिए किया जाता है। जीएसएलवी मार्क 3 की सफलता से इसरो के लिए भी मानव मिशन की राह खुल गई है।
इसरो के पूर्व अध्यक्ष के कस्तूरीरंगन ने इस बात की पुष्टि करते हुए बताया है कि जीएसएलवी एमके-3 ऐसा रॉकेट है, जिसका इस्तेमाल आने वाले सालों में पृथ्वी के पास बहुत भारी उपग्रहों को स्थापित करने वाले मिशन में किया जाएगा।
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कस्तूरीरंगन ने कहा, 'इसरो प्रक्षेपणयान को और बेहतर बनाने की प्रक्रिया में है। इसे दस टन की क्षमता तक विकसित किया जा सकता है।'
बता दें कि सोमवार को इसरो ने चार टन वर्ग के सैटलाइट लॉन्च वीइकल जीएलएलवी मार्क-3 डी1 का श्रीहरिकोटा के अंतरिक्ष केंद्र से पहला सफल प्रक्षेपण किया था। जीएसएलवी-एमके 3 को कस्तूरीरंगन के इसरो प्रमुख रहते हुए आकार दिया गया था।
जीएसएलवी मार्क 3 की ऊंचाई करीब 42 मीटर है। इसका वजन 630 टन यानी 200 हाथियों के वजन के बराबर है। यह स्पेस में 4 टन तक के वजन वाले सैटेलाइट्स को ले जा सकता है। धरती की कम ऊंचाई वाली ऑर्बिट तक 8 टन वजन ले जाने की ताकत रखता है। इसको बनाने में 160 करोड़ रुपए खर्च हुए हैं।
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HIGHLIGHTS
- जीएसएलवी-एमके 3 की मदद से 4 टन या उससे अधिक वजनी उपग्रहों को अंतरिक्ष में भेजा जाता है
- इससे अंतरिक्ष में मानव मिशन को अंजाम दिया जाता है।
- इसका वजन 630 टन यानी 200 हाथियों के वजन के बराबर है
Source : News Nation Bureau