कठुआ गैंगरेप मामले में गठित फैक्ट फाइंडिंग टीम ने अपनी रिपोर्ट सरकार को सौंपते हुए पूरे मामले की सीबीआई से जांच कराए जाने की सिफारिश की है।
केंद्र की ओर से जांच के लिए नियुक्त की गई फैक्ट फाइंडिंग टीम ने शुक्रवार को अपनी रिपोर्ट पीएमओ को सौंप दी।
फैक्ट फाइंडिंग टीम ने गैंगरेप मामले की सीबीआई जांच का सुझाव देते हुए क्राइम ब्रांच टीम की जांच पर कई अहम और गंभीर सवाल उठाए हैं।
रिपोर्ट के मुताबिक क्राइम ब्रांच ने कई ऐसे पहलुओं पर ध्यान नहीं दिया है जिसकी जांच किए जाने की जरूरत थी।
रिपोर्ट में उठाए गए सवाल:
- आखिर क्यों 10 दिनों के अंदर जांच करने आई टीम को तीन बार बदला गया?
- 17 जनवरी की तारीख में दो पोस्टमार्टम रिपोर्ट जारी की गई है। एक ही दिन पर जारी की गई दो रिपोर्ट आखिर कैसे एक-दूसरे से इतनी अलग हो सकती हैं।
- पहली रिपोर्ट में इंटेस्टाइन में खाद्य सामग्री की मौजूदगी की पुष्टि हुई है जबकि दूसरी रिपोर्ट में इसे नकार दिया है। दूसरी रिपोर्ट पर 19 मार्च को हस्ताक्षर किया गया है। टीम ने सवाल किया है कि आखिर कैसे निरीक्षक को अपनी राय देने में दो महीने का वक्त लग गया।
- क्राइम सीन होने के बावजूद देवस्थान को क्यों सील नहीं किया गया?
- बच्ची के शव का मुख्य आरोपी के घर के 100 मीटर के दायरे में मिलना शक पैदा करता है। जब शव को फेंकने के लिए जंगल और नाला जैसे अच्छे विकल्प मौजूद थे तो मुख्य आरोपी ने उसे घर के पास क्यों दफनाया।
- चार्जशीट के अनुसार बच्ची के साथ 6 दिनों तक लगातार कम से कम 3 लोगों ने रेप किया है लेकिन पोस्टमार्टम रिपोर्ट में शरीर और गुप्तांग पर कोई चोट के निशान नहीं है। आम तौर पर 8 साल की बच्ची का शरीर इस प्रकार दरिंदगी को किसी भी हालत में झेल नहीं सकता।
- नाबालिग बच्ची से बार-बार रेप किए जाने के बावजूद देवस्थान पर खून की एक भी बूंद कैसे नहीं मिली।
- देवस्थान के पास से किसी भी प्रकार के यूरिन और स्टूल का कोई निशान क्यों नही है जबकि पोस्टमार्टम रिपोर्ट में आंत में खाने की मौजूदगी की बात की पुष्टि की गई है।
- आखिर किसने बच्ची के मृत शरीर की फोटो हाई रिजॉल्यूशन कैमरे से खींची?
- यह कैसे मुमकिन है कि बच्ची के साथ 7 दिन तक दरिंदगी होने के बावजूद उसके पैर में जूते और सिर पर हेयरबैंड लगा हुआ था।
- यह कैसे मुमकिन है कि पुलिस ने पीड़िता के कपड़े धोकर पुलिस स्टेशन में सूखने के लिए टांग दिया।
- आरोप के अनुसार लगातार 6 दिनों तक पीड़िता को नशीली दवाईयां दी गई आखिर उसके असर का कोई जिक्र क्यों नहीं हैं।
- चार्जशीट में फिंगर प्रिंटस और फुट प्रिंटस को सबूतों के तौर पर क्यों नही शामिल किया गया है?
- आरोपी विशाल जनगोत्रा ने बार-बार कहा है कि चार्जशीट में क्राइम के दिए गए वक्त के समय वह मेरठ में था और परीक्षा में सम्मिलित था। कई सारे तथ्यों की मौजूदगी के बावजूद जांच करने वाली टीम ने इसकी जांच क्यों नहीं की।
- रसाना के स्थानीय निवासियों ने बार-बार 16 जनवरी की रात का जिक्र किया है, जिसमें उन्होंने उस रात ट्रांसफार्मर के उड़े जाने की बात को दोहराया है। उन्होंने बताया है कि उस रात गुप्प अंधेरे में करीब 2 बजे दो लोग बुलेट पर सवार होकर कंबल ओढ़े हुए गांव में दाखिल हुए और करीब आधे घंटे बाद वापस चले गए। क्राइम ब्रांच ने इस पहलू पर कोई ध्यान क्यों नहीं दिया?
इतना ही नहीं फैक्ट फाइंडिंग टीम ने दावा किया है कि रसाना गांव में लगातार मानव अधिकार का उल्लंघन हो रहा है।
उन्होंने कहा कि क्राइम ब्रांच के कठोर रवैये के कारण हिंदू समुदाय के लोग लगातार पलायन कर रहे हैं।
जिन मुद्दों पर फैक्ट फाइंडिंग की टीम ने ध्यान दिया-
- टीम ने जितने भी लोगों से बात की उन सभी लोगों ने एक स्वर में कठुआ में हुए इस अपराध और अपराधियों की निंदा की। किसी ने भी अपराधियों या अपराध की वकालत नहीं की है।
- लोगों को क्राइम ब्रांच की ओर से की गई जांच पर भरोसा नहीं है।
- सभी लोग इस केस की सीबीआई जांच की मांग कर रहे है।
- लोगों के एक बड़े समूह ने क्राइम ब्रांच पर दुर्व्यवहार का आरोप लगाते हुए मानव अधिकार के उल्लंघन की बात कही। उन्होंने बताया कि क्राइम ब्रांच किसी को भी जांच के बहाने ले जाती है और प्रताड़ित करती है। इस कारण हिंदू समुदाय के लोगों में पलायान बढ़ गया है।
निष्कर्ष
केस को सीबीआई जांच के लिए सौंप देना चाहिए। इससे न सिर्फ जम्मू के लोगों को भरोसा मिलेगा बल्कि उन पहलूओं की भी जांच हो सकेगी जिनका जिक्र ऊपर रिपोर्ट में किया गया है और जिन पर क्राइम ब्रांच ने कोई ध्यान नहीं दिया है। जम्मू-कश्मीर सरकार को लोगों की आवाज पर ध्यान देना चाहिए और ऐसे कदम नहीं उठाने जिनसे समाज में बंटवारे की राजनीति को बढ़ावा मिले।
घटनाक्रम का टाइमलाइन
उन्होंने रिपोर्ट में दावा किया है कि आरोपी विशाल जनगोत्रा, नीरज शर्मा, सचिन शर्मा और साहिल शर्मा ने पुलिस के दबाव में आकर 164A के तहत अपना बयान दर्ज कराया है।
इतना ही नहीं फैक्ट फाइंडिंग टीम ने 10 दिन के भीतर क्राइम ब्रांच की टीम में 3 बार फेर-बदल को लेकर भी सवाल उठाया गया है।
फैक्ट फाइंडिंग टीम ने दावा किया है कि बकरवाल समुदाय राष्ट्रवादी विचारधारा से जुड़ा समुदाय है। रसाना गांव में रहने वाले बकरवाल समुदाय के लोग या तो पूर्व सेनाकर्मी हैं या फिर राष्ट्रवादी विचारधारा के पक्षधर हैं।
ऐसे में यह आरोप उन्हें राष्ट्रविरोधी और रेपिस्ट के पक्षधर के रूप में दर्शाता है।
और पढ़ें: कर्नाटक चुनाव: अब नया नारा है, बेटी बचाओ बीजेपी के एमएलए से: राहुल
Source : News Nation Bureau