कांग्रेस के लिए केरल का चुनाव काफी अहम है. कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने केरल के चुनाव प्रचार में पूरी ताकत झोंक दी है. यह चुनाव उनके लिए इसलिए भी महत्वपूर्ण है कि यह उनके राजनीतिक करियर पर भी असर डालने वाला है. राहुल गांधी ने उत्तर भारत की राजनीति के बाद दक्षित भारत का रुख किया है. वह केरल के वायनाड से सांसद भी हैं. अब यह साफ है कि कांग्रेस को 140 सीटों वाली केरल विधानसभा में सत्ता वापसी करने के लिए काफी मदद चाहिए. इतना ही नहीं यह चुनाव राजनीति में कांग्रेस के लिए भी जरूरी है. 2019 में पार्टी के गढ़ अमेठी में हारने और अध्यक्ष पद छोड़ने के बाद केरल के वायनाड ने ही उनकी मदद की. अब सवाल है कि क्या यह सीट एक बार फिर उन्हें बचाने आएगी. इसके अलावा राज्य में हार उनकी अध्यक्ष पद की दावेदारी को और मुश्किल बना सकती है.
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आसान नहीं है राहुल के लिए केरल की डगर
विधानसभा चुनाव कहने को चार राज्य और एक केंद्र शासित प्रदेश में हो रहे हैं लेकिन राहुल गांधी का पूरा जोर केरल में ही रहा. यहां मुख्यमंत्री पिनराई विजयन लोगों के बीच लोकप्रिय बने हुए हैं. कोविड महामारी को संभालने को लेकर उनकी तारीफ भी होती रही है. कांग्रेस को यह पता था कि केरल में मजबूत चुनौती पेश करने के लिए उसे तेजी से काम करना होगा. राहुल के हाथों में अभियान की कमान के साथ पार्टी ने ऐसा किया भी. इसके बाद कांग्रेस नेता के उत्तर-दक्षिण वाले बयान ने नया विवाद खड़ा दिया. बीजेपी ने राहुल गांधी के इस बयान को बांटने वाली राजनीति बताया. दूसरी तरफ केरल के स्थानीय नेता लगातार इस बात पर चिंता जाहिर करते रहते हैं कि उन पर उत्तरी संस्कृति थोपी जा रही है. इसके अलावा राहुल के पहनावे में भी बदलाव आया है. 2019 के लोकसभा चुनाव में उनकी पार्टी ने 20 में से 15 सीटें जीती थीं. वहीं, विधानसभा चुनाव में खराब प्रदर्शन को लेकर आलोचकों ने किसी और से ज्यादा राहुल पर निशाना साधा.
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चुनौती भरा है राहुल गांधी के लिए सफर
कांग्रेस के लिए केरल में चुनाव जीतना इतना भी आसान नहीं है जितना समझा जा रहा है. कांग्रेस को यहां अंदरूनी खींचतान के संकट से जूझना पड़ रहा है. महासचिव केसी वेणुगोपाल राव भले ही राहुल के करीबी हों, लेकिन केरल यूनिट उन्हें स्वीकार नहीं कर रही थी. वहीं, पूर्व मुख्यमंत्री ओमान चंडी और रमेश चेन्नीथला के बीच विवाद जारी थी. इसके अलावा पार्टी में उन लोगों के बीच भी नाराजगी थी, जिन्हें टिकट नहीं मिला. अब ये परेशानियां कांग्रेस की बड़ी रुकावट बन सकती हैं. अगर कांग्रेस केरल में जीतती है, तो यह उसके शासन वाला 6वां राज्य होगा. फिलहाल पार्टी पंजाब, राजस्थान, छत्तीसगढ़ में सत्ता में है. वहीं महाराष्ट्र और झारखंड में कांग्रेस गठबंधन का हिस्सा है.
HIGHLIGHTS
- केरल के वायनाड से सांसद हैं राहुल गांधी
- चुनाव प्रचार में सबसे अधिक समय केरल में दी बिताया
- चुनाव में जीत तय करेगी राहुल गांधी की राजनीति का भविष्य