केरल के वित्त मंत्री के.एन. बालगोपाल ने केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण को एक पत्र लिखा है, जिसमें कहा गया है कि राज्य गंभीर वित्तीय संकट में है और केंद्र तत्काल हस्तक्षेप करे।
बालगोपाल ने कहा, राज्य की वित्तीय स्थिति इस साल लगभग 7,000 करोड़ रुपये के राजस्व घाटे के अनुदान में कमी और लगभग 12,000 करोड़ रुपये के जीएसटी मुआवजे को रोकने के कारण गंभीर रूप से प्रभावित हुई है। इसके अलावा, वित्त मंत्रालय ने मनमाने ढंग से ऑफ-बजट उधारी के नाम पर लगभग 4,000 करोड़ रुपये की राज्य की शुद्ध उधार सीमा में कमी की है।
उन्होंने पत्र में लिखा है, कुल मिलाकर, राज्य सरकार को चालू वित्त वर्ष में बजट के वित्तपोषण के लिए उपलब्ध वित्तीय संसाधनों में 23,000 करोड़ रुपये की कमी का सामना करना पड़ रहा है।
बालगोपाल ने आगे कहा, राज्य सरकार गरीबों के लिए आवास, शिक्षा और स्वास्थ्य सहित अन्य कल्याणकारी योजनाओं पर खर्च बनाए रखने में एक गंभीर समस्याओं से जूझ रही है। राज्य कोविड महामारी से पैदा हुई आर्थिक कमजोरी से उभरने के लिए संघर्ष कर रहा है। सरकार ने काफी मुश्किल से पिछले कई दशकों में जो निर्माण किया है वह खतरे में पड़ जाएगा।
बालगोपाल ने आगे बताया कि पिछले 25 वर्षो में राज्य सरकारों की वित्तीय देनदारियों की संरचना में काफी बदलाव आया है। उन्होंने कहा, केंद्र से ऋण और अग्रिम की हिस्सेदारी 2005 में 15.8 प्रतिशत से घटकर 2020 में 3 प्रतिशत हो गई है। केरल इस प्रवृत्ति का अपवाद नहीं है। केंद्र से केरल को बकाया ऋण और अग्रिम 2005 में 12.4 प्रतिशत से घटकर 2020 में 3.3 प्रतिशत हो गया है।
वह आगे बताते हैं कि पिछले पांच वर्षो में, केंद्रीय वित्त मंत्रालय की कुछ कार्रवाइयों ने राज्य की शुद्ध उधार सीमा तय करते हुए राज्य सरकारों के लिए कुछ गंभीर चिंताएं पैदा की हैं और केंद्र को तत्काल ध्यान देने की जरूरत है।
जानकारों का कहना है कि अगर बालगोपाल की आशंकाओं और चिंताओं के संबंध में राज्य की महसूस की गई मांगों और जरूरतों के प्रति विचारशील दृष्टिकोण नहीं लिया जाता है, तो आने वाले महीनों में राज्य को धन की कमी का सामना करना पड़ सकता है।
डिस्क्लेमरः यह आईएएनएस न्यूज फीड से सीधे पब्लिश हुई खबर है. इसके साथ न्यूज नेशन टीम ने किसी तरह की कोई एडिटिंग नहीं की है. ऐसे में संबंधित खबर को लेकर कोई भी जिम्मेदारी न्यूज एजेंसी की ही होगी.
Source : IANS