शैक्षणिक संस्थानों में राजनीति को लेकर केरल हाई कोर्ट ने असाधारण फैसला देते हुए कहा है कि संवैधानिक लोकतंत्र विशेषकर शैक्षणिक संस्थानों में धरना और प्रदर्शन की कोई जगह नहीं है।
कोर्ट ने कहा कि राज्य के कॉलेज, कैंपस में राजनीति करने वाले छात्रों को बर्खास्त करने के लिए स्वतंत्र है। कोर्ट ने कहा कि अगर किसी छात्र को शिकायत है तो उसके समाधान के लिए कई अन्य और वाजिब मंच है और अगर यह सब काम नहीं करता है तो कोर्ट का रुख किया जा सकता है।
हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस नवनीति प्रसाद सिंह की अध्यक्षता वाली दो जजों की पीठ ने अपने अंतरिम आदेश में कहा, 'सच्चाई यह है कि जो लोग धरना और भूख हड़ताल पर बैठते हैं, वह यह मानकर चलते हैं कि उनकी मांग कानूनी और जायज नहीं है।'
हाई कोर्ट के इस फैसले पर मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (सीपीएम) नेता सीताराम येचुरी ने सवाल उठाए हैं।
येचुरी ने कहा, 'हमारे युवा विचारों के स्रोत हैं। इससे स्वस्थ और प्रगतिशील समाज का निर्माण होता है। इसे रोकना भारत की क्षमता का विनाश करना है।'
Our youth cradle ideas and are nursed by them. This builds healthy, progressive societies. To stifle this, is to destroy India's potential.
— Sitaram Yechury (@SitaramYechury) October 13, 2017
उन्होंने कहा, 'छात्र राजनीति अराजकता नहीं है। यह हमारे युवाओं की चेतना का निर्माण करता है और उनकी ऊर्जा को बेहतर दिशा देकर बेहतर भारत के निर्माण का रास्ता साफ करता है।'
केरल हाई कोर्ट ने मालापुरम के एक प्राइवेट कॉलेज की तरफ से दायर याचिका पर यह फैसला दिया, जिसने छात्रों के प्रदर्शन को देखते हुए पुलिस सुरक्षा की मांग की थी। जज ने कहा कि छात्रों को कॉलेज कैंपस में राजनीति की बजाए पढ़ाई पर ध्यान देना चाहिए और ऐसा नहीं करने की स्थिति में उन्हें कॉलेज छोड़कर सीधे राजनीति में आना चाहिए।
HIGHLIGHTS
- केरल हाई कोर्ट ने कहा कि कैंपस में राजनीति की जगह नहीं, कॉलेज प्रशासन को ऐसे छात्रों को बर्खास्त करने का अधिकार
- केरल हाई कोर्ट के इस फैसले पर मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी के नेता सीताराम येयुरी ने सवाल उठाए हैं