केरल: महिलाओं के लिए सबरीमाला मंदिर के दरवाजे दूसरे दिन भी बंद, तनाव बरकरार

एक तरफ राज्य सरकार सुप्रीम कोर्ट के आदेश का पालन कराने का प्रयास कर रही है, तो दूसरी ओर हिंदूवादी संगठन परंपरा की दुहाई देते हुए महिलाओं को मंदिर में प्रवेश करने से रोक रहे हैं.

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Deepak Kumar
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केरल: महिलाओं के लिए सबरीमाला मंदिर के दरवाजे दूसरे दिन भी बंद, तनाव बरकरार

केरल में तनाव बरकरार (आईएएनएस)

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केरल में हिंदू संगठनों और बीजेपी की ओर से बुलाए गए बंद से उत्पन्न असहज शांति के बीच सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बावजूद गुरुवार को भी सबरीमाला मंदिर में 10 से 50 वर्ष की कोई भी महिला भगवान अयप्पा का दर्शन नहीं कर सकी. भगवान अयप्पा मंदिर के पांच दिनी तीर्थयात्रा के दूसरे दिन गुरुवार को भी केरल में तनाव बना रहा. राज्य में कथित तौर पर पुलिस द्वारा प्रदर्शनकारियों पर हमले के खिलाफ बंद रखा गया है.

एक तरफ राज्य सरकार सुप्रीम कोर्ट के आदेश का पालन कराने का प्रयास कर रही है, तो दूसरी ओर हिंदूवादी संगठनों ने परंपरा की दुहाई देते हुए महिलाओं से मंदिर में प्रवेश नहीं करने का आग्रह किया है.

सबरीमाला के पुजारी परिवार के एक वरिष्ठ सदस्य ने 10 से 50 साल आयुवर्ग की महिलाओं के मंदिर में प्रवेश पर रोक की परंपरा का सम्मान करने व महिलाओं से अयप्पा के मंदिर में न जाने का आग्रह किया. महिलाओं के प्रवेश पर रोक इसलिए है कि माना जाता है कि अयप्पा 'ब्रह्मचारी' थे.

आरएसएस और बीजेपी से जुड़े प्रदर्शनकारियों के बुधवार को हमलों और हिंसा के बीच कुछ महिला पत्रकारों को कवरेज जारी रखने से रोका गया. सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बावजूद यहां महिलाएं गुरुवार को भी भगवान अयप्पा का दर्शन नहीं कर सकी.

दिन की समाप्ति पर, त्रावणकोर देवासम बोर्ड (टीडीबी) के अध्यक्ष ए. पद्मकुमार ने मीडिया से कहा कि वे इस मामले का हल निकालने के लिए किसी भी हद तक जाने के लिए तैयार हैं.

पद्मकुमार ने कहा, "कल हम एक बैठक करने जा रहे हैं और हम यह पूछना चाहते हैं कि अगर हम सर्वोच्च न्यायायल में इस मामले में पुनर्विचार याचिका डालेंगे तो क्या प्रदर्शनकारी पीछे हट जाएंगे?"

स्त्री-पुरुष समानता और मानवाधिकार के आधार पर आए सुप्रीम कोर्ट के फैसले के 20 दिन बाद भी 10 से 50 साल उम्र की कोई बच्ची या महिला अयप्पा के दर्शन नहीं कर पाई है.

'द न्यूयॉर्क टाइम्स' की भारत में रिपोर्टर सुहासिनी राज अपने सहकर्मी के साथ गुरुवार की सुबह पंबा द्वार से अयप्पा मंदिर तक जाने में कामयाब रहीं, लेकिन उन्हें बीच में नाराज भक्तों ने रोक दिया. कुछ लोग उन पर पत्थर बरसाने लगे.

सुहासिनी राज ने कहा, "मैं आधे रास्ते पहुंची थी और इसके बाद विरोध प्रदर्शन तेज हो गया. मुझ पर पत्थर चलाया गया और इसके बाद हमने लौटने का फैसला किया. पुलिस ने हमें सभी तरह की सुरक्षा प्रदान की."

इससे पहले सुहासिनी ने कहा था कि वह भक्तों के साथ बातचीत कर रिपोर्टिग का अपना काम करने आई हैं.

पथानमथिट्टा जिले के कलेक्टर पी.बी.नोह ने गुरुवार को दोपहर बाद मीडिया से कहा कि धारा 144 लागू है और यह शुक्रवार मध्यरात्रि तक लागू रहेगी. पुलिस हर महिला को जो मंदिर में जाकर पूजा करना चाहती है, उसे सुरक्षा प्रदान करेगी.

बुधवार को गिरफ्तार किए गए 30 प्रदर्शनकारियों में से 20 को रान्नी में मजिस्ट्रेट की अदालत में पेश किया गया. उन्हें दो हफ्ते के लिए न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया. गिरफ्तार कार्यकर्ताओं में तांत्री (पुजारी) परिवार का सदस्य राहुल ईश्वर भी शामिल है.

सुबह से लेकर शाम तक सबरीमाला कर्मा समिति द्वारा गुरुवार को बुलाया गया यह बंद पूरे केरल में शांतिपूर्ण रहा और यहां केवल कुछ निजी वाहन ही चलते देखे गए.

कोझीकोड, मलप्पुरम व कुछ अन्य स्थानों पर प्रदर्शनकारियों ने केरल राज्य सड़क परिवहन निगम की बसों पर पथराव किया, जिसके बाद उनका संचालन रोक दिया गया.

महानवमी के मौके पर राज्य व केंद्र सरकार के कार्यालय, बैंक व शैक्षणिक संस्थान बंद थे. दुकानें व बाजार भी बंद रहे. तिरुवनंतपुरम व कोच्चि के आईटी पार्क में भी लोगों की कम मौजूदगी रही. बंद का असर रेल यात्रियों पर पड़ा, उन्हें स्टेशनों से टैक्सी व सार्वजनिक वाहन पाने में काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ा.

मंदिर परिसर में मीडिया से बात करते हुए मुख्य पुजारी कांतारारू राजीवरू ने कहा, "हम महिलाओं का बहुत सम्मान करते हैं. इसके अलावा दूसरी तरह की पूजा के लिए आने पर उनका बेहद सम्मान किया जाता है."

उन्होंने कहा, "हमने हमेशा कानून का सम्मान किया है, लेकिन सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बावजूद हम महिलाओं से विनम्रता से आग्रह करते हैं कि उन्हें इस पवित्र मंदिर की परंपरा को तोड़ने की कोशिश नहीं करनी चाहिए."

भगवान अयप्पा का मंदिर बुधवार को शाम पांच बजे मासिक पूजा-अर्चना के लिए खोला गया. सुप्रीम कोर्ट के 28 सितंबर के फैसले के बाद बुधवार को पहली बार मंदिर खोला गया.

परंपरा के अनुसार, मंदिर को मलयालम माह की शुरुआत में पांच दिनों तक खोला जाता है. मंदिर अब 22 अक्टूबर तक खुला रहेगा.

राज्य बीजेपी प्रमुख पी.एस. श्रीधरण पिल्लई ने इस हिंसा के लिए वाम सरकार को जिम्मेदार ठहराया है.

उन्होंने कहा, "यह अपमानजनक है. हमने आज से 22 अक्टूबर तक अपने प्रदर्शन को और तीव्र करने का फैसला किया है. सभी दिन पूर्वाह्न् 11.30 बजे युवा मोर्चा के कार्यकर्ता धारा 144 तोड़ेंगे और गिरफ्तारी देंगे."

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यूएई में मौजूद मुख्यमंत्री पिनाराई विजयन ने फेसबुक पोस्ट के जरिए कहा कि बीजेपी और आरएसएस इस पवित्र मंदिर को संघर्ष क्षेत्र में तब्दील करना चाहते हैं. श्रद्धालुओं को इस बात को समझना चाहिए, लेकिन राज्य सरकार ऐसी किसी भी गतिविधि को नाकाम करने के लिए तैयार है और स्थिति से उचित तरीक से निपटेगी.

Source : IANS

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