केरल पुलिस ने मंगलवार को सबरीमाला में धारा-144 को 8 दिसंबर की मध्यरात्रि तक बढ़ा दिया है. इसके तहत एक जगह पर 4 से अधिक लोगों को इकट्ठा होने की इजाजत नहीं होती है. बता दें कि बीते 16 नवंबर को सबरीमाला मंदिर का कपाट दो महीने के लिए खुलने के बाद महिलाओं के प्रवेश को लेकर अब भी वहां विरोध प्रदर्शन जारी है. बीते शनिवार को अयप्पा मंदिर की ओर जा रही आंध्र प्रदेश की दो महिलाओं को प्रदर्शनकारियों ने रोक लिया था क्योंकि वे प्रतिबंधित आयुसीमा से थीं, जिसके बाद केरल पुलिस को तीन लोगों को गिरफ्तार करना पड़ा.
केरल हाई कोर्ट के द्वारा गठित तीन सदस्ययी निगरानी समिति ने मंगलवार को सबरीमाला मंदिर का दौरा किया था और श्रद्धालुओं के लिए दी जारी सुविधाओं पर संतुष्टि जताई.
बता दें कि कपाट खुलने के बाद अब तक 10-50 वर्ष की एक भी महिला भारी विरोध प्रदर्शन के कारण मंदिर के अंदर प्रवेश नहीं कर पाई हैं. पुरानी प्रथा को कायम रखने को लेकर हिंदूवादी संगठन लगातार प्रदर्शन कर रहे हैं.
बता दें कि सुप्रीम कोर्ट ने 28 सितंबर को दिए अपने फैसले में कहा था कि सभी उम्र की महिलाओं (पहले 10-50 वर्ष की उम्र की महिलाओं पर बैन था) को सबरीमाला मंदिर में प्रवेश मिलेगी. वहीं सुप्रीम कोर्ट के फैसले के खिलाफ दायर 48 पुनर्विचार याचिकाओं पर सुनवाई करने के लिए 22 जनवरी की तारीख मुकर्रर की गई है.
कोर्ट ने क्या कहा था
अदालत ने कहा था कि महिलाओं का मंदिर में प्रवेश न मिलना उनके मौलिक और संवैधानिक अधिकारों का उल्लंघन है. अदालत की पांच सदस्यीय पीठ में से चार ने सर्वसम्मति से फैसला सुनाया जबकि पीठ में शामिल एकमात्र महिला जस्टिस इंदु मल्होत्रा ने अलग राय रखी थी.
पूर्व मुख्य न्यायधीश दीपक मिश्रा ने जस्टिस एम.एम. खानविलकर की ओर से फैसला पढ़ते हुए कहा, 'शारीरिक या जैविक आधार पर महिलाओं के अधिकारों का हनन नहीं किया जा सकता. सभी भक्त बराबर हैं और लिंग के आधार पर कोई भेदभाव नहीं हो सकता.'
Source : News Nation Bureau