केंद्र की मोदी सरकार के लिए गले की फांस बना किसानों का आंदोलन एक बार फिर से तेज होने लगा है. तीन कृषि कानूनों के खिलाफ कई महीनों से दिल्ली की सीमाओं पर धरना जारी है, मगर महामारी की वजह से अधिकतर किसान घरों को लौट गए थे तो मंच पर जमने वाली नेताओं की भीड़ भी बिजली की तरह गुल हो गई थी. अब फिर आंदोलन को मजबूती देने के लिए किसानों की जमात जुटने लगी है तो विरोध प्रदर्शन का दौर भी शुरू होने जा रहा है. वहीं किसानों के आंदोलन का समर्थन कर सियासत फिर पैर जमा रही है. संयुक्त किसान मोर्चा ने देशभर में विरोध दिवस मनाने का आह्वान किया है तो उसका समर्थन करते हुए मोदी विरोधी तमाम दल एक साथ आकर किसानों के साथ खड़े हो गए हैं.
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किसानों ने अपने आंदोलन को रफ्तार देने के लिए विरोध प्रदर्शन की रणनीति तैयार की है, जिसकी शुरुआत आज हरियाणा से होने जा रही है. हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर के खिलाफ किसान आज हिसार कमिश्नरी का घेराव करेंगे. संयुक्त किसान मोर्चा के अनुसार, हिसार में मुख्यमंत्री खट्टर का विरोध कर रहे किसानों के खिलाफ पुलिस ने हिसंक कार्रवाई की थी, इसमें कई किसानों को गहरी चोटें भी आई थीं और कई किसानों को गिरफ्तार कर लिया गया था. किसानों के भारी विरोध के बाद पुलिस ने किसानों पर कोई केस न दर्ज करने का फैसला लिया, लेकिन पुलिस ने 350 से अधिक किसानों के खिलाफ पुलिस केस दर्ज कर लिए.
सयुंक्त किसान मोर्चा ने आसपास के किसानों से ज्यादा से ज्यादा संख्या में पहुंचने की अपील की है. किसानों की मांग है कि उन पुलिस अधिकारियों व पुलिसकर्मियों पर सख्त कार्रवाई हो, जिन्होंने अमानवीय तरीके से किसानों पर हमले किए व लाठीचार्ज, आंसूगैस और पत्थरबाजी के सहारे किसानों के प्रदर्शन को रोका. वहीं मुख्यमंत्री के खिलाफ मुकदमा दर्ज हो, जिन्होंने कोविड गाइडलाइंस को दरकिनार कर यह कार्यक्रम किया.
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इसके अलावा संयुक्त किसान मोर्चा ने 26 मई को देशभर में विरोध दिवस मनाने का आह्वान किया है और सभी देशवासियों से अपने घर और वाहन पर काला झंडा लगाने और मोदी सरकार के पुतले जलाने की अपील की है. चूंकि इसी दिन भगवान बुद्ध के जन्म, निर्वाण और परिनिर्वाण का उत्सव 'बुद्ध पूर्णिमा' भी पड़ता है, इसलिए संयुक्त किसान मोर्चा ने यह फैसला किया है कि उस दिन सभी मोर्चे और धरनों पर अपने अपने तरीके से बुद्ध पूर्णिमा मनाई जाएगी. किसान आंदोलन के दिल्ली की सीमाओं पर 6 महीने पूरा होने पर और केंद्र की मोदी सरकार को 7 साल पूरा होने पर संयुक्त किसान मोर्चा ने इस दिन मोदी सरकार के विरोध स्वरूप काले झंडे लगाने का फैसला किया है.
नए कृषि कानूनों के खिलाफ जारी विरोध प्रदर्शन के 6 महीने पूरे होने पर संयुक्त किसान मोर्चा द्वारा 26 मई को देशभर में विरोध प्रदर्शन करने के ऐलान को 13 विपक्षी पार्टियों ने समर्थन किया है. 12 दलों ने एक संयुक्त पत्र पर हस्ताक्षर करके किसानों के प्रदर्शन का समर्थन किया है, जिनमें कांग्रेस, जेडीएस, एनसीपी, टीएमसी, शिवसेना, समाजवादी पार्टी, राजद, माकपा, भाकपा, एमके स्टालिन की पार्टी डीएमके, हेमंत सोरेन की पार्टी झामुमो और फारुख अब्दुल्ला पार्टी की नेशनल कांग्रेस शामिल हैं. इसके अलावा आम आदमी पार्टी ने भी अलग से किसानों के प्रदर्शन का समर्थन किया है.
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गौरतलब है कि तीन नए अधिनियमित खेत कानूनों के खिलाफ किसान पिछले साल 26 नवंबर से राष्ट्रीय राजधानी की विभिन्न सीमाओं पर विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं. बीते दिनों में समाधान के लिए कई दौर की बैठकें हुई थीं, लेकिन कोई हल नहीं निकला था. किसान इन तीनों कानूनों में संशोधन को तैयार नहीं हैं, बल्कि उनको को वापस लेने की जिद पर अड़े हैं. जबकि मोदी सरकार कानूनों में संशोधन को तैयार है.
HIGHLIGHTS
- फिर तेज होने लगा किसानों का आंदोलन
- आज हरियाणा तो 26 को देशभर में प्रदर्शन
- कांग्रेस समेत 12 विपक्षी दलों का समर्थन