केंद्र सरकार ने दिल्ली की सीमाओं पर आंदोलन कर रहे किसान संगठनों के नाम रविवार को फिर एक पत्र भेजकर उनसे वार्ता के जरिए किसानों के मसले का समाधान तलाशने की अपील की. किसान संगठनों को इसे पहले भेजे गए प्रस्तावों और उससे पहले सरकार की ओर बातचीत के जरिए समस्याओं का समाधान करने की दिशा में किए गए प्रयासों का हवाला देते हुए सरकार ने उनसे फिर वार्ता शुरू करने की अपील की है और इस संबंध में उनके विचार और वार्ता की तिथि बताने को भी कहा गया है.
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यह पत्र केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय में संयुक्त सचिव विवेक अग्रवाल ने क्रांतिकारी किसान यूनियन, पंजाब के प्रेसीडेंट डॉ. दर्शनपाल को पत्र लिखा है और उसकी प्रतिलिपि विभिन्न किसान संगठनों के 39 प्रतिनिधियों को भेजी गई है.
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सरकार की ओर से भेजे गए इस पत्र में नए कृषि कानून को लेकर पंजाब में शुरू हुए किसान संगठनों के विरोध-प्रदर्शन से लेकर दिल्ली की सीमाओं पर बीते तीन सप्ताह से ज्यादा समय से चल रहे प्रदर्शन के दौरान सरकार की ओर से समस्याओं के समाधान की दिशा में की गई पहलों और प्रदर्शनकारी किसान संगठनों द्वारा उठाए गए कदमों का बिंदुवार जिक्र किया गया है.
पत्र में किसान नेता दर्शनपाल से उनके द्वारा 16 दिसंबर को भेजी गई ईमेल के संबंध में सवाल किया गया है कि ईमेल में प्रेषित संदेश संक्षिप्त है और स्पष्ट नहीं है कि यह उनका अपना विचार या सभी संगठनों का भी मत यही है. साथ ही, सरकार की ओर से नौ दिसंबर को भेजे गए प्रस्तावों को अस्वीकार किए जाने के कारण स्पष्ट नहीं होने की बात कही गई है.
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बता दें कि केंद्र सरकार द्वारा बीते सितंबर महीने में लागू कृषक उपज व्यापार और वाणिज्य (संवर्धन और सुविधा) कानून 2020, कृषक (सशक्तीकरण एवं संरक्षण) कीमत आश्वासन और कृषि सेवा करार कानून 2020 और आवश्यक वस्तु (संशोधन) कानून 2020 को निरस्त करवाने की मांग को लेकर किसान 26 नवंबर से दिल्ली की सीमाओं पर डेरा डाले हुए हैं और इस दौरान सरकार के साथ उनकी कई दौर की वार्ताएं बेनतीजा रही हैं.
सबसे पहले अक्टूबर में पंजाब के किसान संगठनों के नेताओं के साथ 14 अक्टूबर को कृषि सचिव से वार्ता हुई थी. इसके बाद 13 नवंबर को यहां विज्ञान-भवन में केंद्रीय मंत्रियों के साथ उनकी वार्ता हुई, जिसमें केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर, रेलमंत्री पीयूष गोयल और वाणिज्य एवं उद्योग राज्यमंत्री सोमप्रकाश मौजूद थे.
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सरकार के साथ तीसरे, चौथे और पांचवें दौर की वार्ताएं क्रमश: एक दिसंबर, तीन दिसंबर और पांच दिसंबर को विज्ञान भवन में ही हुईं, जिनमें तीनों मंत्री मौजूद थे. इसके बाद आठ दिसंबर को केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह के साथ हुई बैठक के बाद सरकार की ओर से किसान संगठनों के नेताओं को कानूनों में संशोधन समेत अन्य मसलों को लेकर सरकार की ओर से एक प्रस्ताव नौ दिसंबर को भेजा गया, जिसे उन्होंने नकार दिया दिया था.
Source : IANS