देश में जहां भी चुनाव होते हैं, उसका तार हैदराबाद से जुड़ा होता है, क्योंकि देश की ज्यादातर राजनीतिक पार्टियां अपनी पार्टी का झंडा खंडुआ हैदराबाद में ही बनवाती हैं, यहीं से झंडे छपवाकर अलग-अलग राज्यों में भेजे जाते हैं. देश के पुराने शहर के कांतेदान इलाके में उनकी एक फैक्ट्री है, जहां करीब 50 लोग काम करते हैं. इनमें से ज्यादातर महिलाएं हैं. उनकी तीन और फैक्ट्रियां भी हैं. इनमें कुल 500 महिलाएं काम करती हैं. इसके अलावा वे झंडे सिलने के लिए सोर्सिंग भी मुहैया कराते हैं. कर्नाटक चुनाव में लगभग 1000 से 1500 लोग मलिक उस्मान के लिए प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से काम करेंगे.
देश में बारह महीने चुनाव होते हैं, बारह महीने उनका काम भी चलता रहता है. इस फैक्ट्री को मीर उस्मान नाम का शख्स चलाता है, उसका कहना है कि उसके पास जो कपड़े आते हैं वो सफेद झंडे, खांडू प्रिंट, अलग-अलग पार्टियों की डिमांड के हिसाब से कटे और सिले होते हैं, जो राजनीतिक पार्टियां आपको चुनाव में देती हैं. प्रचार के लिए उपयोग करें.
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हैदराबाद में एक ही जगह बने झंडे चुनाव प्रचार के दौरान एक-दूसरे के खिलाफ चुनाव लड़ने के लिए इस्तेमाल किए जाते हैं. यहां से यह आंध्र प्रदेश, कर्नाटक, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, महाराष्ट्र, राजस्थान, पश्चिम बंगाल जैसे राज्यों में जाती है. चुनाव के 4 महीने पहले उन्हें ऑर्डर मिल जाता है, फिर वे लगातार खेपों में जाते रहते हैं.
कर्नाटक में चुनाव होने जा रहे हैं, दिसंबर से ही ऑर्डर आने शुरू हो गए हैं, बीजेपी, कांग्रेस, जेडीएस सभी पार्टियों से ऑर्डर मिल गए हैं. बीजेपी और कांग्रेस की तरफ से और ऑर्डर मिल गए हैं. आखिरी खेप शनिवार को हैदराबाद से रवाना होगी. जैसा कि कर्नाटक में बजरंग दल का मुद्दा चल रहा है, उन्होंने नारंगी झंडा खंडुआ भी मंगवाया है. मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, राजस्थान, तेलंगाना के चुनाव के लिए यहां आगे का काम शुरू होने जा रहा है.
HIGHLIGHTS
- ज्यादातर पार्टियां अपनी पार्टी का झंडा खंडुआ हैदराबाद में ही बनवाती हैं
- यहीं से झंडे छपवाकर अलग-अलग राज्यों में भेजे जाते हैं.